नई दिल्ली| विधि संवाददाता।
प्रवेश स्तर की न्यायिक सेवा के लिए अनुभव अनिवार्य, पहले से चल रही प्रक्रिया पर नहीं पड़ेगा असर-
सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि न्यायिक सेवा के प्रवेश स्तर यानी शुरुआती पदों के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को अब कम से कम 3 साल का अधिवक्ता (वकील) के रूप में अनुभव होना जरूरी होगा। यह नियम पहले भी था, लेकिन अब इसे फिर से अनिवार्य कर दिया गया है।
अनुभव की गणना कैसे होगी?
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि उम्मीदवार के अनुभव की गणना उस दिन से होगी जिस दिन वह अधिवक्ता (वकील) के रूप में प्रोविजनल रूप से बार काउंसिल में पंजीकृत हुआ था। यानी जैसे ही कोई कानून की पढ़ाई पूरी कर वकील के तौर पर पंजीकरण कराता है, उसके अनुभव की अवधि गिनी जाएगी।
पुरानी भर्तियों पर लागू नहीं होगा नियम
यह नया नियम उन भर्तियों पर लागू नहीं होगा जो सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से पहले किसी भी उच्च न्यायालय द्वारा शुरू की जा चुकी हैं। यानी जो परीक्षाएं या नियुक्तियां पहले से प्रक्रिया में हैं, उन पर यह शर्त नहीं लगेगी।
केवल भविष्य की भर्तियों में लागू होगा नियम
यह नियम अब आने वाली यानी भविष्य की न्यायिक सेवा भर्तियों में अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा। इससे न्यायिक सेवा में अनुभवी और व्यावहारिक ज्ञान रखने वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता मिल सकेगी।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से यह साफ हो गया है कि न्यायिक सेवा जैसे जिम्मेदार पदों के लिए सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, व्यावसायिक अनुभव भी जरूरी है। इससे न्यायिक व्यवस्था में अनुभव आधारित फैसले लेने वाले न्यायाधीशों की संख्या बढ़ेगी और न्याय की गुणवत्ता में सुधार होगा।
पहले से चल रही प्रक्रिया पर नहीं पड़ेगा असर