अवधेश शर्मा।
प्रशिक्षण की शुरुआत/
नरकटियागंज, बेतिया:
“पोषण भी, पढ़ाई भी” अभियान के अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाओं के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 19 मई 2025 से शुरू हुआ है। यह प्रशिक्षण 28 मई 2025 तक चलेगा। कार्यक्रम का उद्घाटन बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (CDPO) सोहैल अहमद ने किया। इस मौके पर महिला पर्यवेक्षिकाएं, प्रधान सहायक आनंद और डेटा ऑपरेटर अमित कुमार भी मौजूद रहे।
प्रशिक्षण का उद्देश्य
इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य आंगनबाड़ी सेविकाओं को अवचेतना पाठ्यक्रम (Nawchetna Curriculum) के क्रियान्वयन के लिए तैयार करना है। यह पाठ्यक्रम बच्चों के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।
बाल्यावस्था विकास का महत्व
प्रारंभिक बाल्यावस्था यानी जीवन के पहले छह साल बच्चे के भविष्य की नींव रखते हैं। इस दौरान शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास बेहद जरूरी होता है।
विशेषज्ञों के अनुसार:
- जन्म के समय बच्चे का मस्तिष्क केवल 25% विकसित होता है।
- पहले तीन वर्षों में यह 75% तक विकसित हो जाता है।
- इस समय में सोचने, समझने और प्रतिक्रिया देने की आदतें बनती हैं।
इसलिए शुरुआती वर्षों में सही पोषण, स्वास्थ्य सेवाएं और शैक्षिक गतिविधियां जरूरी होती हैं।
नवचेतना पाठ्यक्रम की विशेषताएं
यह पाठ्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप तैयार किया गया है और बच्चों की शुरुआती शिक्षा और देखभाल को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसका उद्देश्य है:
- बच्चों की देखभाल करने वालों को सही परवरिश के लिए मार्गदर्शन देना।
- प्यार, संवाद, खेल और सकारात्मक दिशा-निर्देश के माध्यम से बच्चों का समग्र विकास सुनिश्चित करना।
सेविकाओं की प्रतिक्रिया
प्रशिक्षण में भाग लेने वाली कई आंगनबाड़ी सेविकाओं ने बताया कि इस तरह के प्रशिक्षण से उनका ज्ञान बढ़ता है और वे बच्चों की देखभाल और शिक्षा में और बेहतर योगदान दे सकती हैं।
निष्कर्ष
“पोषण भी, पढ़ाई भी” अभियान न केवल बच्चों के पोषण पर बल देता है, बल्कि उनकी शिक्षा और संपूर्ण विकास के लिए भी एक मजबूत आधार तैयार करता है। इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।