– इस दिन को विशेष रूप से विद्या, ज्ञान और संगीत की आराधना के रूप में मनाया जाता है। मनभावन बसंत ऋतु का शुभारंभ के रूप में भी। यह सभी ऋतुओं का राजा है।
बसंत पंचमी के 40 दिन बाद होली का पर्व मनाया जाता है।
पटना में सथानीय संपादक जितेन्द्र कुमार सिन्हा की रिपोर्ट।
– ऋग्वेद में उन्हें वाणी (वाक् शक्ति) का स्वरूप बताया गया है।
वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा 02 फरवरी (रविवार) को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, वसंत पंचमी तिथि 2 फरवरी को सुबह 9:15 बजे शुरू होकर 3 फरवरी को सुबह 6:52 बजे समाप्त होगी। चूंकि मां सरस्वती की पूजा दोपहर या संध्या के समय की जाती है और इस दौरान वसंत पंचमी 2 फरवरी को ही होगी, इसलिए इसी दिन पूजा का आयोजन होगा। यह वसंत के आगमन की शुरुआत भी है।
वसंत पंचमी का महत्व
सनातन धर्म में वसंत पंचमी माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। यह ऋतुराज वसंत के आगमन का संकेत देती है और मां सरस्वती तथा देवी लक्ष्मी का प्राकट्य दिवस माना जाता है। इसे विद्या, ज्ञान, कला और संगीत की देवी सरस्वती की आराधना का विशेष पर्व कहा जाता है।
मां सरस्वती का स्वरूप
वेद-पुराणों में मां सरस्वती के स्वरूप का वर्णन मिलता है—
“जो कुंद के फूल, चंद्रमा, हिम, तुषार और मोतियों के हार के समान गौरवर्णी हैं, जिन्होंने शुभ्र वस्त्र धारण किए हैं, जिनके हाथों में उत्तम वीणा सुशोभित है, और जो शुभ्र कमल पर विराजमान हैं, वे भगवती सरस्वती हमारी जड़ता और अज्ञानता को दूर करें।”
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणा वरदंडमंडितकरा या श्वेतपद्मासना।।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा।।
वसंत पंचमी का ज्योतिषीय और धार्मिक पक्ष
- सूर्य को बुद्धि, ज्ञान और आत्मा का कारक ग्रह माना जाता है।
- पंचमी तिथि का संबंध विभिन्न देवताओं से है, और वसंत पंचमी विशेष रूप से देवी सरस्वती को समर्पित है।
- इस समय प्रकृति अपने चरम सौंदर्य पर होती है—वृक्षों पर नए पत्ते, पुष्प, और फलों का आगमन होता है।
ब्रह्मा द्वारा सरस्वती का आवाहन
मत्स्य पुराण के अनुसार, सृष्टि की रचना के समय ब्रह्मा ने अपने हृदय में सावित्री का ध्यान कर तप किया, जिससे उनके शरीर का एक भाग स्त्री रूप में प्रकट हुआ। यही देवी सरस्वती और शतरूपा के नाम से प्रसिद्ध हुईं।
शुभ कार्यों के लिए उत्तम मुहूर्त
वसंत पंचमी को अत्यंत शुभ दिन माना जाता है। इस दिन विद्यारंभ संस्कार, गृह प्रवेश, और अन्य शुभ कार्य करना लाभकारी होता है। शास्त्रों में इसे सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त बताया गया है।
ऋग्वेद में सरस्वती की महिमा
ऋग्वेद (10/125) में देवी सरस्वती को ज्ञान और विद्या की अधिष्ठात्री बताया गया है। जिनकी वाणी पर सरस्वती का वास होता है, वे विद्वान और कुशाग्र बुद्धि के होते हैं। ब्राह्मण ग्रंथों के अनुसार, मां सरस्वती ब्रह्म स्वरूपा और समस्त देवताओं की प्रतिनिधि मानी गई हैं।
Vasant Panchami to be Celebrated on February 2
– Vasant Panchami Marks the Appearance Day of Goddess Saraswati
बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। इस दिन से बसंत ऋतु का आगमन होता है, जो सभी ऋतुओं का राजा है। बसंत पंचमी के 40 दिन बाद होली का पर्व मनाया जाता है, इसलिए बसंत पंचमी से होली के त्योहार की शुरुआत मानी जाती है।
– मत्स्य पुराण में वर्णन है कि सृष्टि रचना के समय ब्रह्मा जी ने जब ध्यान किया, तब उनके हृदय से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई, जिसे सरस्वती के रूप में जाना गया।