शाही स्नान में अखाड़ों की अहम भूमिका, सिख परंपरा से जुड़े संत भी होते हैं शामिल
महाकुंभ में इस बार भी 13 प्रमुख अखाड़े अपनी परंपराओं के साथ भाग लेंगे। इन अखाड़ों में सिख पंथ से जुड़े निर्मल अखाड़ा और निर्वाण अखाड़ा भी शामिल हैं, जो गुरु नानक और गुरु गोबिंद सिंह की शिक्षाओं से प्रेरित हैं।
13 प्रमुख अखाड़े: शैव, वैष्णव और उदासीन संप्रदाय के अखाड़े
महाकुंभ में भाग लेने वाले अखाड़ों को तीन प्रमुख संप्रदायों में बांटा गया है:
1. शैव संप्रदाय (7 अखाड़े) – शिव भक्त संन्यासियों का दल
- जूना अखाड़ा
- अग्नि अखाड़ा
- आवाह्न अखाड़ा
- अटल अखाड़ा
- महानिर्वाणी अखाड़ा
- आनंद अखाड़ा
- निरंजनी अखाड़ा
2. वैष्णव संप्रदाय (3 अखाड़े) – विष्णु भक्त बैरागी साधु
- निर्मोही अखाड़ा
- दिगंबर अखाड़ा
- निर्वाणी अखाड़ा
3. उदासीन संप्रदाय (3 अखाड़े) – ध्यान और तपस्या पर जोर
- बड़ा उदासीन अखाड़ा
- निर्मल अखाड़ा (सिख पंथ से जुड़ा)
- नया उदासीन अखाड़ा
सिख पंथ के निर्मल और निर्वाण अखाड़े का योगदान
सिख परंपरा से जुड़े साधु निर्मल अखाड़ा और निर्वाण अखाड़ा के माध्यम से महाकुंभ में भाग लेते हैं।
निर्मल अखाड़ा – सिख गुरुओं की शिक्षाओं का प्रचारक
- स्थापना: 18वीं शताब्दी
- संस्थापक: गुरु गोबिंद सिंह जी
- विशेषता: वेद, उपनिषद, गीता और गुरु ग्रंथ साहिब के अध्ययन पर जोर
- पहचान: सफेद या भगवा वस्त्रधारी संत, जो सिख और हिंदू परंपराओं का समन्वय करते हैं।
निर्वाण अखाड़ा – तपस्वी संन्यासियों का केंद्र
- यह अखाड़ा भी वैष्णव और सिख परंपरा से जुड़ा हुआ है।
- यहां साधु ध्यान, योग और तपस्या पर जोर देते हैं।
- निर्वाण अखाड़ा मुख्य रूप से हरिद्वार, प्रयागराज और अन्य तीर्थों में सक्रिय रहता है।
शाही स्नान में अखाड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका
महाकुंभ में शाही स्नान अखाड़ों की परंपराओं का सबसे बड़ा आकर्षण होता है। अखाड़ों के साधु पहले स्नान करते हैं, जिसके बाद आम श्रद्धालुओं को गंगा स्नान का अवसर मिलता है। निर्मल और निर्वाण अखाड़ा भी इस शाही स्नान में भाग लेंगे और अपनी पारंपरिक पहचान के साथ धर्म प्रचार करेंगे।
निष्कर्ष
महाकुंभ में 13 अखाड़े भाग लेते हैं, जिनमें से निर्मल और निर्वाण अखाड़ा सिख पंथ से जुड़े प्रमुख अखाड़े हैं। ये अखाड़े न केवल धार्मिक परंपराओं को आगे बढ़ाते हैं, बल्कि गुरु नानक, गुरु गोबिंद सिंह और भारतीय आध्यात्मिक विरासत की शिक्षाओं का भी प्रचार करते हैं।
How many Akharas are there in the Mahakumbh?
There are a total of 13 Akharas in the Mahakumbh. Among them, Nirmal Akhara and Nirvan Akhara are the prominent Akharas from the Sikh Panth.
महाकुंभ में सिख समुदाय के कौन-कौन से अखाड़े हैं?
महाकुंभ में सिख समुदाय से जुड़े प्रमुख अखाड़े “निर्मल अखाड़ा” और “निर्वाण अखाड़ा” हैं। ये अखाड़े सिख गुरुओं की शिक्षाओं से प्रभावित संत परंपरा का पालन करते हैं। इनके अनुयायी वे संन्यासी होते हैं जो गुरुग्रंथ साहिब के उपदेशों को मानते हैं और हिंदू-सिख परंपराओं का समन्वय करते हैं।
1. निर्मल अखाड़ा (Nirmal Akhada)
स्थापना और इतिहास:
- स्थापना: 18वीं शताब्दी (1690 के आसपास)
- संस्थापक: गुरु गोबिंद सिंह जी
- मुख्य उद्देश्य: वैदिक और सिख परंपराओं का प्रचार
- मुख्य अनुयायी: निर्मले संन्यासी (Nirmalay Saints)
निर्मल अखाड़ा का महत्व:
निर्मल अखाड़ा की स्थापना गुरु गोबिंद सिंह जी ने उन विद्वान संतों के लिए की थी जो वेद, उपनिषद, गीता और अन्य ग्रंथों के अध्ययन में रुचि रखते थे। इस अखाड़े के संत धार्मिक शिक्षाओं को फैलाने और समाज में सुधार लाने का कार्य करते हैं।
- ये साधु भगवा या सफेद वस्त्र धारण करते हैं।
- ये संस्कृत, गुरुमुखी, वेद, उपनिषद और सिख धर्मग्रंथों का अध्ययन करते हैं।
- इनका मुख्य आश्रम हरिद्वार, प्रयागराज और अन्य तीर्थों में स्थित है।
2. निर्मल संप्रदाय और अन्य सिख अखाड़े
निर्मल अखाड़ा ही निर्मल संप्रदाय का मुख्य केंद्र है, जो गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाओं के अनुरूप धार्मिक और आध्यात्मिक शिक्षा देने पर जोर देता है।
निर्मल संप्रदाय की प्रमुख शाखाएं:
- निर्मल संत मुख्य रूप से वेद, पुराण, उपनिषद और अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन और प्रचार करते हैं।
- सिख धर्म में रहकर हिंदू ग्रंथों को भी मानने वाले संत इस अखाड़े से जुड़े होते हैं।
3. उदासीन संप्रदाय और उनके अखाड़े
स्थापना और इतिहास:
- स्थापना: 17वीं शताब्दी
- संस्थापक: गुरु नानक देव जी के शिष्य श्रीचंद जी (1494-1643)
- मुख्य उद्देश्य: ध्यान और तपस्या के माध्यम से अध्यात्म का प्रचार
- मुख्य अनुयायी: उदासीन संत (Udasin Saints)
उदासीन अखाड़ों की शाखाएं:
सिख समुदाय से जुड़े तीन प्रमुख उदासीन अखाड़े महाकुंभ में भाग लेते हैं:
- बड़ा उदासीन अखाड़ा
- नया उदासीन अखाड़ा
- निर्मल अखाड़ा
उदासीन संप्रदाय का महत्व:
- यह संप्रदाय सिख धर्म और हिंदू धर्म का समन्वय करता है।
- इनके संतों को “उदासी” कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है सांसारिक मोह से दूर रहने वाला।
- उदासीन अखाड़े के साधु गृहस्थ जीवन नहीं अपनाते और ध्यान व भक्ति में लीन रहते हैं।
- इनके साधु भगवा, सफेद या गेरुआ वस्त्र धारण करते हैं और तिलक लगाते हैं।
सिख अखाड़ों की कुंभ में भूमिका
- निर्मल और उदासीन संप्रदाय के साधु महाकुंभ में शाही स्नान में भाग लेते हैं।
- ये साधु गुरु ग्रंथ साहिब, वेद, उपनिषद और अन्य धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते हैं।
- इनका उद्देश्य धार्मिक शिक्षा का प्रचार और समाज में शांति व सद्भाव लाना होता है।
- ये अखाड़े सिख और हिंदू परंपराओं के बीच सांस्कृतिक सेतु का काम करते हैं।
निष्कर्ष
महाकुंभ में सिख समुदाय के मुख्य रूप से निर्मल अखाड़ा और उदासीन अखाड़े भाग लेते हैं। इनकी स्थापना गुरु गोबिंद सिंह और गुरु नानक देव के शिष्यों द्वारा की गई थी। ये अखाड़े वेदों, उपनिषदों और सिख धर्मग्रंथों का अध्ययन और प्रचार करते हैं और समाज में धार्मिक शिक्षाओं को फैलाने का कार्य करते हैं।