यह संग्रह प्रेम, समाज, और राष्ट्र के विभिन्न पहलुओं पर गहन दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जो पाठकों को न केवल मनोरंजन प्रदान करता है, बल्कि आत्ममंथन के लिए भी प्रेरित करता है
पटना से स्थानीय संपादक जितेंद्र कुमार सिन्हा।
जयपुर की कवयित्री और लेखिका रेनू शब्दमुखर ने प्रदीप कुमार प्राश के पहले काव्य संग्रह “एक मुट्ठी इश्क” की समीक्षा करते हुए कहा –
यह संग्रह एक भावनात्मक यात्रा है, जो पाठकों के दिलों को छूने में सक्षम है। इस संग्रह में प्रेम के विभिन्न रूपों का सजीव चित्रण किया गया है, जिसमें समाज, राष्ट्र और मानवीय संवेदनाओं की गहरी समझ भी झलकती है।
जीवन के विभिन्न पहलुओं का चित्रण
श्री प्राश की कविताओं में प्रेम केवल रोमांटिक भावनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें देशभक्ति, संस्कृति और मातृभूमि के प्रति गहन प्रेम भी शामिल है। उन्होंने जीवन के विभिन्न पहलुओं को इतनी सजीवता से प्रस्तुत किया है कि वे पाठक को आत्ममंथन के लिए प्रेरित करती हैं।
सरल भाषा में गहरे भाव-
इस संग्रह की कविताएं साधारण और सहज भाषा में लिखी गई हैं, जिसमें गहरे भाव छिपे हुए हैं। “एक मुट्ठी इश्क” भावनाओं का ऐसा गुलदस्ता है, जो हर पाठक को किसी न किसी रूप में जोड़ता है—चाहे वह प्रेम हो, विरह हो, जीवन के संघर्ष हों, या फिर मातृभूमि के प्रति समर्पण।
रेम, दर्द और राष्ट्रभक्ति का संगम-
प्रेम का चित्रण इस संग्रह की प्रमुख विशेषता है, और यह प्रेम न केवल व्यक्तिगत है, बल्कि सामाजिक और सार्वभौमिक भी है। विरह की पीड़ा और प्रेम की शिकायतें श्री प्राश के शब्दों में इतनी नाजुकता से उभरी हैं कि पाठक को अपने जीवन के अनुभवों से जोड़ने का अवसर मिलता है।
“एक मुट्ठी इश्क” प्रेम, दर्द, समाज और राष्ट्रभक्ति के भावों का एक संगम है, जो प्रदीप कुमार प्राश के लेखन की समृद्धि और उनके संवेदनशील मन को उजागर करता है। उनकी कविताएं सरल होते हुए भी गहरे भावनात्मक प्रभाव छोड़ती हैं, जो इस संग्रह को अद्वितीय बनाती हैं।
**सारांश**
यह संग्रह प्रेम, समाज, और राष्ट्र के विभिन्न पहलुओं पर गहन दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जो पाठकों को न केवल मनोरंजन प्रदान करता है, बल्कि आत्ममंथन के लिए भी प्रेरित करता है।