पटना से स्थानीय संपादक जितेंद्र कुमार सिन्हा।
AIIMS नई दिल्ली में जेरीयाट्रिक विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय 10वीं अंतरराष्ट्रीय फिजिजियोथेरोपी चिकित्सा सम्मेलन में बिहार के चिकित्सक सम्मानित हुये हैं।
बिहार के पटना स्थित बिहार कॉलेज ऑफ फिजियोथेरेपी एंड आक्यूपेशनल थेरेपी के चिकित्सक डॉ देवव्रत को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए “क्लिनिकल अवार्ड” और “चेयरपर्सन सम्मान” से सम्मानित किया।
एम्स नई दिल्ली के जेरीयाट्रिक विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय 10वीं अंतरराष्ट्रीय भौतिक चिकित्सा सम्मेलन में प्राचीन चिकित्सा पद्धति और आधुनिक फिजियोथेरेपी के महत्व पर विचार-विमर्श हुआ। सम्मेलन में ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, श्रीलंका, नेपाल सहित 1200 से अधिक भौतिक चिकित्सकों ने भाग लिया।
सम्मेलन में इंदौर के वरीय फिजियोथेरेपिस्ट डॉ आनंद मिश्रा ने भौतिक चिकित्सा के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने कुबड़ी मालिन और अष्टावक्र ऋषि को इसी पद्धति से ठीक किया था। एम्स में पदस्थापित डॉ ऋचा गोस्वामी ने बुजुर्गों के टेढ़े-मेढ़े हड्डियों के उपचार की तकनीकों पर चर्चा की, जबकि सूरत के डॉ धवनीत एस शाह ने पैरालिसिस के मरीजों के पुनर्वास पर व्याख्यान दिया।
बिहार के पटना स्थित बिहार कॉलेज ऑफ फिजियोथेरेपी एंड आक्यूपेशनल थेरेपी के चिकित्सक डॉ देवव्रत को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए “क्लिनिकल अवार्ड” और “चेयरपर्सन सम्मान” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान एम्स के वरीय फिजियोथेरेपिस्ट डॉ प्रभात रंजन ने प्रदान किया।
सम्मान प्राप्त करने के बाद डॉ देवव्रत ने कहा कि यह दिन उनके लिए यादगार रहेगा। उन्होंने फिजियोथेरेपी को गठिया, लकवा, रीढ़ की हड्डी की चोट, और मस्तिष्क ज्वर जैसी बीमारियों के लिए प्रभावी चिकित्सा पद्धति बताया। उन्होंने जोर दिया कि फिजियोथेरेपी बिना दवा के भी बीमारियों को जड़ से खत्म करने में सक्षम है।
डॉ देवव्रत को लगातार दो वर्षों से यह सम्मान मिल रहा है, जो बिहार के लिए गर्व की बात है। उनकी इस उपलब्धि पर परिजनों और प्रदेश के चिकित्सकों ने शुभकामनाएं दीं।