पटना से स्थानी संपादक जितेंद्र कुमार सिन्हा।
हरिहर क्षेत्र महोत्सव का मंच महाकवि विद्यापति और मीराबाई की रचनाओं से सराबोर हो उठा। बिहार सरकार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा आमंत्रित डॉ. रेखा दास ने अपनी सुरीली आवाज और भावपूर्ण प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मिथिला की बेटी डॉ. रेखा दास की संगीत यात्रा-
डॉ. रेखा दास बिहार की ख्यातिप्राप्त शास्त्रीय और सुगम संगीत गायिका तथा साहित्यकार हैं। उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता प्रो. सीएल दास (सरोद वादक और संगीत इतिहासकार) और “पद्मश्री पंडित रामचतुर मल्लिक” से प्राप्त की। बाद में उन्हें दिल्ली घराने के उस्ताद इकबाल अहमद खां और किराना घराने के इरशाद खां से भी मार्गदर्शन मिला।
डॉ. रेखा, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में संगीत विभाग की व्याख्याता हैं। उन्होंने राजगीर महोत्सव, वैशाली महोत्सव, और बिहार महोत्सव समेत देश-विदेश के कई मंचों पर अपनी प्रस्तुति दी है। उनके गायन से पटना स्थित आईसीसीआर के रीजनल सेंटर का उद्घाटन हुआ था।
साहित्य और संगीत की संगम रेखा-
डॉ. रेखा ने हिंदी साहित्य में एमए और पीएचडी की डिग्री पटना विश्वविद्यालय से हासिल की। उनकी चर्चित कृति *’बिहार के लोक नाटकों की शैलियों का विवेचन’* रंगकर्मियों में लोकप्रिय है। मैथिली की पहली गद्य रचना *’वर्ण रत्नाकर’* का हिंदी अनुवाद भी उन्होंने किया है। उनकी पुस्तक *’समय से परे स्वर छंदों की यात्रा’* को ‘जयपुर साहित्य सम्मान’ से नवाजा गया है।
हरिहर क्षेत्र महोत्सव में प्रस्तुतियां-
कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना ‘जय गणेश जय गणेश जय गणेश ध्याये’ से हुई। इसके बाद मीराबाई की रचना ‘हे नंदलाला तेरा मन है काला’ प्रस्तुत की गई, जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा।
विद्यापति की प्रसिद्ध रचना-
‘मोर रे अंगनवा चंदन केर गछिया’ की प्रस्तुति ने मिथिला के जनजीवन की भावनाओं को बखूबी चित्रित किया। कार्यक्रम का समापन ‘राणा जी मैं गिरधर के घर जाऊं…’ से हुआ।
सहयोगी कलाकारों का योगदान-
डॉ. रेखा के साथ तबला पर विभास कुमार, पखावज पर राजशेखर, हारमोनियम पर सत्यम कुमार और गायन सहयोगी के रूप में डॉ. रीता ने अपनी प्रस्तुतियों से कार्यक्रम को और प्रभावी बनाया।
कार्यक्रम के अंत में स्थानीय प्रशासन ने सभी कलाकारों को सम्मानित किया।
In Harihar Kshetra Mahotsav Vidyapati and Mirabai’s Compositions Resonated in Rekha Das’s Voice