तीन नए आपराधिक कानून 21वीं सदी का सबसे बड़ा सुधार हैं।
नई दिल्ली में आज आयोजित अखिल भारतीय फॉरेंसिक विज्ञान सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि देश में लागू किए जा रहे तीन नए आपराधिक कानून 21वीं सदी का सबसे बड़ा सुधार हैं। सरकार का उद्देश्य है कि न्याय व्यवस्था को जनकेन्द्रित और वैज्ञानिक बनाया जाए।
समय पर न्याय और सटीक सजा सुनिश्चित करने की कोशिश
गृहमंत्री ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि जो लोग न्याय की मांग करते हैं, उन्हें समय पर और संतोषजनक न्याय मिल सके। इसके लिए फॉरेंसिक विज्ञान की भूमिका बेहद अहम है। उन्होंने कहा कि अगर हमें समय पर न्याय देना है और सजा की दर (Conviction Rate) बढ़ानी है, तो फॉरेंसिक तकनीक के बिना यह संभव नहीं है।
सुरक्षित और सक्षम भारत बनाने का लक्ष्य
श्री शाह ने कहा कि सरकार का मुख्य उद्देश्य एक सुरक्षित और सक्षम भारत का निर्माण करना है, जिसमें अपराधियों को सबूतों के आधार पर जल्द से जल्द सजा मिल सके।
सम्मेलन में प्रमुख न्यायिक और प्रशासनिक अधिकारी शामिल
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में
- सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति राजेश बिंदल
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) वी. रामासुब्रमण्यम
- भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि
ने भी अपने विचार रखे।
इस मौके पर
- बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद मनन कुमार मिश्रा
- केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन
- विभिन्न जांच एजेंसियों के प्रमुख
- और विदेशों से आए प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
नशा तस्करी के खिलाफ सख्त कार्रवाई: 1800 करोड़ की ड्रग्स जब्त
गृहमंत्री ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि मोदी सरकार नशे के नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के लिए लगातार अभियान चला रही है। उन्होंने बताया कि देश की एजेंसियों ने अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा के पास 300 किलोग्राम मादक पदार्थ (ड्रग्स) जब्त किए हैं, जिसकी कीमत लगभग 1800 करोड़ रुपये है।
नशा मुक्त भारत की दिशा में एक और बड़ी सफलता
गृहमंत्री ने कहा कि यह कार्रवाई इस बात का उदाहरण है कि सरकार किस प्रकार नशे की बुराई को खत्म करने की दिशा में गंभीर है। उन्होंने इस बड़ी सफलता पर गुजरात पुलिस और भारतीय तटरक्षक बल (Coast Guard) को बधाई दी और कहा कि यह देश को नशा मुक्त भारत बनाने की दिशा में एक और उपलब्धि है।