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Wednesday, June 25, 2025
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25 जून को संविधान हत्या दिवस क्यों मनाया जाता है?

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New Delhi | आनंद कुमार |

आपातकाल के दौरान अधिकारों का दमन आज भी याद है: अमित शाह

नई दिल्ली में “आपातकाल के पचास साल” विषय पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आपातकाल के दौरान संविधानिक अधिकारों को जिस तरह कुचला गया, उसकी याद आज भी लोगों को झकझोर देती है

उन्होंने कहा कि जो लोग लोकतंत्र में विश्वास करते हैं, वे आज भी उस दौर के अत्याचार, नागरिक अधिकारों का हनन और संस्थाओं के दमन को याद करके सिहर उठते हैं

अमित शाह ने यह भी कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय था, और हमें इसे भूलना नहीं चाहिए, बल्कि इससे सीख लेकर लोकतंत्र की रक्षा करनी चाहिए।

संविधान हत्या दिवस हर साल 25 जून को मनाया जाता है। यह दिन हमें 1975 में देश में लगे आपातकाल की याद दिलाता है, जब संविधान और लोकतंत्र को कुचलने का काम किया गया था। इस दिन उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि दी जाती है, जिन्होंने उस समय अत्याचार झेला और लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया।


आपातकाल क्या था?

25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल (Emergency) लगा दिया था।

  • नागरिकों की आज़ादी छीन ली गई
  • प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई
  • पत्रकारों को जेल भेजा गया और अखबार बंद कर दिए गए
  • विपक्षी नेताओं जैसे जयप्रकाश नारायण, लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी, मोरारजी देसाई को गिरफ्तार किया गया
  • बिना अपराध बताए लोगों को जेल में बंद किया गया

काले कानूनों का इस्तेमाल
उस समय मीसा (MISA) जैसे कानूनों का जमकर दुरुपयोग हुआ। लोगों को बिना सुनवाई जेल में डाल दिया गया।


जनता का आक्रोश
आपातकाल का विरोध सिर्फ राजनेताओं ने नहीं किया, बल्कि आम जनता भी विरोध में खड़ी हो गई। लोगों को लगा कि उनसे उनकी आज़ादी छीन ली गई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे भारतीय लोकतंत्र पर “काला धब्बा” कहा है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के लिए हर नागरिक के दिल में दर्द और तड़प थी।


महत्वपूर्ण आंदोलन और घटनाएं

  • गुजरात में नवनिर्माण आंदोलन
  • बिहार में जयप्रकाश नारायण का आंदोलन
    जॉर्ज फर्नांडीज के नेतृत्व में रेलवे हड़ताल
    जॉर्ज फर्नांडीज की हथकड़ी में तस्वीर उस दौर की सबसे यादगार छवियों में से एक मानी जाती है।

    निष्कर्ष
    आपातकाल का दौर भारत के लोकतंत्र के लिए सबसे अंधकारमय समय था। 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाकर हम उन लोगों को याद करते हैं जिन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए साहसिक कदम उठाए और देश को फिर से संविधान के रास्ते पर लाने का काम किया।

Why is Constitution Betrayal Day observed on June 25?

June 25 is observed as Constitution Betrayal Day in India to remember the day in 1975 when Emergency was declared by then Prime Minister Indira Gandhi. It marks a period when the Indian Constitution and democracy were severely undermined.


What happened during the Emergency?

  • Fundamental rights of citizens were suspended
  • Strict censorship was imposed on the press
  • Opposition leaders like Jayaprakash Narayan, Atal Bihari Vajpayee, L.K. Advani, and others were jailed
  • People were detained without charges, and black laws like MISA were misused
  • Public protests and political movements were forcefully suppressed

Why is it called a betrayal?
Because it was a time when the democratic spirit of the Constitution was crushed, and the voices of the people were silenced. It is remembered as a dark chapter in Indian democracy.


Prime Minister Narendra Modi has also called the Emergency a “black spot on Indian democracy“, saying it wasn’t just a political issue, but the entire nation felt the pain of lost freedom.


This day serves as a reminder to protect democracy and constitutional values at all costs.

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