पटना से स्थानीय संपादक जितेन्द्र कुमार सिन्हा।
06 नवम्बर 2024
छठ पर्व की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है और इसका समापन कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर होता है। इसे सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है। इस साल छठ पर्व 5 नवम्बर से 8 नवम्बर तक चलेगा।
कोई पुजारी नही, सिर्फ़ भक्त से देवी शक्ति-
छठी मइया की पूजा में, भक्त व देवी देवता की बीच कोई माध्यम नहीं होता। भक्तों का सीधे देवी शक्ति से संपर्क रहता है।
पूजा सामग्री में कोई रेडिमेड पकवान या दुकान की बनी मिठाई नहीं-
छठ पूजा में भक्तगण सीधे प्रकृति से जुड़ते हैं। इसकी पूजा सामग्री में कोई बनी बनायी या दुकान से ख़रीदी गया प्रसाद का प्रयोग नहीं होता है।
प्रसाद में सिर्फ़ नेचुरल प्रोडक्ट्स-
घर की बना ठेकुआ, फल व सीजन मिलने वाली सभी फल-मूल का प्रसाद के रूप में प्रयोग होता है। इस सीजन की उपज मूली, आदि व ईंख व नारियल फल प्रसाद के मुख्य लिए जाते हैं। यह तक कि मिल की उत्पाद चीनी भी इसके मुख्य प्रसाद के ठेकुआ में नहीं लगती। चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल होता है। खीर भी गुड़ की बनती है।
यही नहीं पाकेट बंद जेनरल नमक की जगह सेंधा नमक लिया जाता है।
छठ पर्व के चार दिन- पहला दिन – नहाय खाय (5 नवम्बर):
इस दिन व्रती स्नान करके शुद्ध भोजन बनाते हैं और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखते हैं।
– दूसरा दिन – खरना (6 नवम्बर):
इस दिन गुड़ की खीर, रोटी और फल का प्रसाद बनाया जाता है, जिसे व्रती रात में ग्रहण करते हैं। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।
– तीसरा दिन – पहला अर्घ्य (7 नवम्बर):
व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। बांस की सूप में फल, ठेकुआ, और चावल के लड्डू अर्पित किए जाते हैं। परिवार और समुदाय के लोग भी सूर्य देव को दूध और जल अर्पित करते हैं।
– चौथा दिन – दूसरा अर्घ्य और समापन (8 नवम्बर):
उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा का समापन किया जाता है। इसके बाद व्रत का पारण होता है।
व्रत की विशेषताएं-
छठ पूजा भगवान सूर्य की आराधना का पर्व है, जिसमें 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है। इस अनुष्ठान में पवित्र स्नान, पानी में खड़े होकर प्रार्थना करना, और सूर्य को अर्घ्य देना शामिल है। मान्यता है कि यह व्रत भगवान सूर्य को धन्यवाद देने और संतान सुख के लिए किया जाता है। इसे पुरुष और महिलाएं दोनों करते हैं।
पूजा का महत्व और प्रचलन-
यह प्राचीन हिंदू वैदिक त्योहार मुख्य रूप से बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड, और नेपाल के माघई, मैथिल, और भोजपुरी लोगों द्वारा मनाया जाता है। आजकल विदेशों में सनातन संस्कृति लोगों का काफ़ी झुकाव हो रह है। खासकर छठ पर्र्व की पवित्रता को देखकर विदेशी बेहद प्रभावित हो रहे हैं।विदेशों में भी यह त्योहार मनाया जाने लगा है।
इस वर्ष का मुहूर्त
– खरना का शुभ मुहूर्त: 6 नवम्बर, शाम 5:29 से 7:48 बजे तक।
-पहली अर्घ्य : 7 नवम्बर, सूर्यास्त का समय शाम 5:29 बजे।
– दूसरी अर्घ्य : 8 नवम्बर, सूर्योदय का समय सुबह 6:32 बजे।
इस प्रकार, विधि-विधान से यह पर्व सम्पन्न होता है, जो भगवान सूर्य और परिवार के कल्याण के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है।
Four-Day Chhath Mahaparv Begins: A Festival Without the Need for a Priest