spot_img
Friday, November 22, 2024
spot_img
Homeबिहारपटनाविजय दशमी, शक्ति जागरण का प्रतीक है, जो आंतरिक विजय से ही...

विजय दशमी, शक्ति जागरण का प्रतीक है, जो आंतरिक विजय से ही संभव है – अवधेश झा

-

विजय दशमी शक्ति जागरण का प्रतीक है, जो आंतरिक विजय के बिना बाहरी युद्ध में संभव नहीं है।

“शक्ति” परब्रह्म परमात्मा की अनंत ऊर्जा का कार्य है। इसके माध्यम से विभिन्न भाव उत्पन्न होते हैं और समाप्त भी होते हैं। शक्ति की अधिष्ठात्री देवी “महामाया” हैं, जो ब्रह्मांड को अपनी योगमाया से क्रियाशील रखती हैं।

 आदि शक्ति प्रकृति की मूल दुर्गा हैं, जो महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप में विद्यमान हैं। पुरुष आत्म तत्व है, जबकि प्रकृति उसकी शक्ति है। इस प्रकार, आत्मा और शक्ति एक दूसरे के विरोधी नहीं हैं। शक्ति से ही सत्य भाव में विजय प्राप्त की जा सकती है और यह सत्यनिष्ठ, आत्मनिष्ठ पुरुष को हानि नहीं पहुंचाती। शक्ति सुरक्षा और साधना दोनों ही है।

रावण ने अपनी कुल देवी की साधना से सुरक्षा प्राप्त की, लेकिन उसकी साधना का अशुभ उद्देश्य था, जो अंततः विफल हुआ। जब श्रीराम और रावण का युद्ध प्रारंभ हुआ, तो रावण को देवी की सुरक्षा के कारण कोई क्षति नहीं हो रही थी। 

जामवंत ने श्रीराम को दुर्गा शक्ति को जागृत करने का सुझाव दिया, जिसे श्रीराम ने सहजता से स्वीकार किया। श्रीराम ने युद्ध के बीच शक्ति जागरण की साधना की और अंततः देवी को प्रसन्न कर विजयश्री प्राप्त की। 

यह विजय दशमी शक्ति जागरण का प्रतीक है, जो आंतरिक विजय के बिना बाहरी युद्ध में संभव नहीं है। अपने काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि को माया के वश में मत होने दें, और सत्य के लिए संघर्ष करें। इस प्रकार, जीवन की हर लड़ाई में विजय निश्चित है। 

रावण का अति भाव ही उसका पतन कारण बना, क्योंकि वह अत्यधिक ज्ञानी होते हुए भी आसुरी प्रवृत्तियों से घिरा रहा। अंततः भगवान श्रीराम ने उसके अहंकार का नाश किया, जिससे रावण को आत्मस्वरूप में प्रभु का दर्शन हुआ। 

शक्ति का जागरण शुभ संकल्प के लिए होता है, तो इसका प्रभाव चिरकाल तक रहता है, जैसे प्रभु श्रीराम का उदाहरण। पंच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) के शोधन में भी शक्ति की आवश्यकता होती है। शक्ति की जागृति से महालक्ष्मी रूप में समृद्धि, दुर्गा रूप में इच्छाओं की पूर्ति और महासरस्वती रूप में बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। यही जीवन के कल्याण का मार्ग है। 

ॐ श्रीसीता – रामाय नम:!  

ॐ क्लीं कृष्णाय नमः!  

ॐ दुं दुर्गायै नमः!  

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे!

Related articles

Bihar

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
spot_img

Latest posts