जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 17 अक्तूबर 2024:
सर्वोच्य न्यायालय में न्याय की मूर्ति का स्वरूप बदल गया है।
पुरानी मूर्ति को सर्वोच्य न्यायालय के लाइब्रेरी में रखी गयी है। नई मूर्ति में आंखों पर बंधी पट्टी को हटा दिया गया है। बाएं हाथ में संविधान और दाएं हाथ में तराजू रखा गया है।
पहले की मूर्ति में आंखों पर पट्टी, बाएं हाथ में तराजू और दाएं हाथ में तलवार होती थी।
यह परिवर्तन मुख्य न्यायाधीश के आदेश पर किया गया। उनका मानना है कि कानून अंधा नहीं होता और सभी को समान रूप से देखता है। तलवार को हटाकर संविधान देने से यह संदेश जाएगा कि अदालत संविधान के अनुसार न्याय करती है, न कि दंड का प्रतीक तलवार से।
न्याय की पुरानी मूर्ति यूनान की देवी ‘जस्टिया’ से प्रेरित थी, जो 17वीं शताब्दी में भारत लाई गई थी। इसकी आंखों पर पट्टी यह दर्शाती थी कि न्याय निष्पक्ष होना चाहिए। अब नई मूर्ति के माध्यम से संदेश दिया गया है कि न्याय निष्पक्ष तो है, लेकिन अंधा नहीं, और वह संविधान के अनुसार चलता है, न कि हिंसा के प्रतीक तलवार से।