देहरादून में आयोजित कैबिनेट बैठक के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की कि राज्य में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC) को लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। कैबिनेट ने UCC के मसौदे को मंजूरी दे दी है, जिससे राज्य में इसे लागू करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। आज सुबह 9:48 बजे उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने x पर जानकारी दी है।
अब प्रशिक्षण प्रक्रिया पूरी होने के बाद, नियमावली को मंजूरी दे दी गई है। उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में ऐतिहासिक फैसला
सोमवार को उत्तराखंड कैबिनेट ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के लिए नियमावली को मंजूरी दी।
वादा पूरा किया: मुख्यमंत्री धामी
बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने कहा,
“हमने 2022 के विधानसभा चुनावों में जनता से वादा किया था कि भाजपा की सरकार बनने के बाद पहला कदम यूसीसी लागू करना होगा। आज, हमने वह वादा पूरा किया।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह फैसला लिया गया, जो सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उत्तराखंड: यूसीसी लागू करने वाला पहला राज्य
सीएम धामी ने बताया कि सरकार बनने के बाद यूसीसी विधेयक लाया गया, ड्राफ्ट कमेटी ने इसका प्रारूप तैयार किया, और इसे विधानसभा में पास कर राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त हुई। अब प्रशिक्षण प्रक्रिया पूरी होने के बाद, नियमावली को मंजूरी दे दी गई है। उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
सभी धर्मों और वर्गों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित
यूसीसी के लागू होने से उत्तराखंड में सभी धर्म, जाति और वर्ग के नागरिकों को समान अधिकार मिलेंगे। मुख्यमंत्री धामी ने इसे राज्य के विकास और सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया।
गौरतलब है कि 6 फरवरी 2024 को यूसीसी बिल पहली बार विशेष विधानसभा सत्र में पेश किया गया और 7 फरवरी को भारी बहुमत से पास हुआ। 13 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस बिल पर हस्ताक्षर कर इसे कानून का दर्जा दिया।
मुख्यमंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उत्तराखंड में UCC लागू करना पूरे देश के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा। उन्होंने यह भी कहा कि समान नागरिक संहिता का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए व्यक्तिगत मामलों में समान कानून लागू करना है, जिससे समाज में समानता और न्याय को बढ़ावा मिलेगा।
समान नागरिक संहिता सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, संपत्ति और अन्य व्यक्तिगत संबंधों से जुड़े मामलों में समान कानून सुनिश्चित करती है। इस कदम को ऐतिहासिक और समाज के लिए सकारात्मक परिवर्तनकारी माना जा रहा है।