हलाला, बहुविवाह, बाल विवाह और तीन तलाक जैसी प्रथाओं पर रोक, महिलाओं को तलाक का समान अधिकार
पटना से स्शानीय संपादक जितेंद्र कुमार सिन्हा।
उत्तराखंड में 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता (UCC) लागू हो गई है। जिससे यह स्वतंत्र भारत का पहला राज्य बन गया जहां UCC लागू किया गया है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने घोषणा की है कि हर वर्ष 27 जनवरी को समान नागरिक संहिता दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

कानून के क्रियान्वयन के लिए एक पोर्टल भी लांच किया गया है। पोर्टल में सभी दिशा निर्देश जारी किये गये हैं। समान नागरिक संहिता कानून लागू होने के कारण राज्य में व्यापक बदलाव होने जा रहा है। यह कानून महिला सुरक्षा को व्यापक स्तर पर प्राथमिकता दे रहा है। यह कानून अनुसूचित जातियों/जनजातियों को छोड़कर संपूर्ण उत्तराखंड राज्य तथा राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के समस्त निवासियों पर लागू होगा।
UCC लागू होने के प्रमुख बिंदु:
- UCC के तहत विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और संपत्ति से जुड़े कानून सभी धर्मों के लिए समान होंगे।
- सभी धर्मों के लिए बहुविवाह पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
- बेटियों को पैतृक संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा।
- लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य होगा, और बिना सूचना के एक महीने से अधिक साथ रहने पर ₹10,000 का जुर्माना लगेगा।
- लिव-इन रिलेशन से जन्मे बच्चों को भी संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा।
- विवाह का पंजीकरण अनिवार्य होगा, अन्यथा इसे अवैध माना जाएगा और अधिकतम ₹25,000 का जुर्माना लग सकता है।
- महिलाओं को तलाक का समान अधिकार मिलेगा।
- हलाला, बहुविवाह, बाल विवाह और तीन तलाक जैसी प्रथाओं पर रोक लगाई गई है।
- विवाह पंजीकरण नहीं कराने वालों को सरकारी सुविधाओं से वंचित किया जा सकता है।
- वसीयत ऑनलाइन पंजीकृत की जा सकेगी, और इसे तीन मिनट के वीडियो में बोलकर भी अपलोड किया जा सकता है।
UCC को लेकर विवाद और प्रतिक्रिया:
- मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इसे भेदभावपूर्ण और पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया है और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।
- सरकार का कहना है कि UCC को लागू करने से राज्य में लैंगिक समानता और सामाजिक समरसता बढ़ेगी।
UCC के प्रशासनिक प्रावधान:
- ग्रामीण क्षेत्र में एसडीएम रजिस्ट्रार होंगे और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सब-रजिस्ट्रार होंगे।
- शहरी क्षेत्र में नगर परिषद और नगर पालिका के लिए एसडीएम रजिस्ट्रार होंगे।
- 26 मार्च 2010 से UCC लागू होने की तिथि के बीच हुए विवाहों का पंजीकरण छह महीने के भीतर कराना होगा।
- UCC लागू होने के बाद किए गए विवाहों का पंजीकरण 60 दिनों के भीतर अनिवार्य होगा।
उत्तराखंड सरकार ने UCC के तहत सर्वप्रथम पंजीकरण कराने वाले पांच आवेदकों को प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया है। इसके साथ ही, जिनका विवाह या तलाक पंजीकृत नहीं हुआ था, उनसे छह महीने तक कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
UCC लागू करने के बाद, उत्तराखंड की सरकार का कहना है कि यह कानून राज्य के नागरिकों के लिए समान अधिकार और कर्तव्यों को सुनिश्चित करेगा, जिससे लैंगिक और सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया जा सकेगा।
Uttarakhand, the first state to implement UCC, will celebrate Uniform Civil Code Day every year on January 27.
Ban on practices like Halala, polygamy, child marriage, and triple talaq; equal divorce rights for women.