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Wednesday, December 4, 2024
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पुरुष भी करते हैं सूर्य षष्ठी व्रत – जानिए व्रतियों की भक्ति भावनाएं

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पटना से स्थानीय संपादक जितेन्द्र कुमार सिन्हा।

छठ महापर्व का आयोजन पूरे समाज में सामाजिक सौहार्द, सद्भावना, शांति, समृद्धि, पवित्रता, श्रद्धा, लगन, निष्ठा और सादगी के साथ किया जाता है। यह पर्व सभी समुदायों की सहभागिता से सम्पन्न होता है, जिसमें समाज का हर तबका अपनी भूमिका निभाता है। 


पटना में मकान की छतों पर थठ पूजा।
फोटो- देश वाणी।

पटना के विभिन्न क्षेत्रों जैसे आशियाना नगर, दीघा, दानापुर, कदमकुआं, मछुआटोली, कंकड़बाग, अनीसाबाद, मित्रमंडल कॉलोनी, साकेत विहार, पुनाईचक, गर्दनीबाग, मीठापुर बी एरिया, और जगदेव पथ में छठ पर्व के अवसर पर भगवान भास्कर की प्रतिमा और झांकियों की प्रदर्शनी की गई। 

सड़कों की सफाई और बिजली की सजावट भी की गई। कई दुकानदारों ने छठ व्रत के कारण अपनी दुकानें बंद रखीं, जबकि कुछ ने इस महापर्व में सहयोग करने के उद्देश्य से दुकानें बंद कीं। छठ पर्व में ऊंच-नीच और भेदभाव से परे, सभी लोगों में सहयोग की भावना प्रबल रहती है।

छठ व्रत एक ऐसा पर्व है जिसमें पंडित, मंत्रोच्चार और दान-दक्षिणा की कोई आवश्यकता नहीं होती। अब यह व्रत केवल महिलाओं तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि पुरुष भी इसे करने लगे हैं। इस संबंध में एजी कॉलोनी के पंकज कुमार ने बताया कि यह व्रत खासतौर पर संतान प्राप्ति और संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए भगवान सूर्य की आराधना के रूप में किया जाता है। पंकज ने बताया कि उन्होंने कष्ट व्रत के रूप में छठ व्रत की शुरुआत की थी, और जब उनकी मनोकामना पूरी हुई तो अब वे इसे सामान्य रूप से करते हैं।

गोला रोड स्थित सर्वोदय नगर की ऋचा सिन्हा ने बताया कि पहले उनकी सासु मां राजमणि देवी छठ व्रत करती थीं, लेकिन अब वे खुद यह व्रत करने लगी हैं। उन्हें छठ व्रत करने में बेहद खुशी मिलती है, क्योंकि इसमें पवित्रता, श्रद्धा और भक्ति की जो भावना होती है, वह किसी अन्य पूजा में नहीं मिलती।

कल्याणी कॉलोनी की स्मृति राखी ने बताया कि उनके कॉलोनी में अधिकांश लोग अपने-अपने छतों पर ही छठ पूजा करते हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने भी कष्ट व्रत से इस पूजा की शुरुआत की थी। मनोकामना पूरी होने के बाद अब वे इसे सामान्य रूप से करती हैं।

साकेत विहार की कृति सिन्हा का कहना है कि वे कई वर्षों से लगातार भगवान भास्कर की आराधना करती आ रही हैं। उनका मानना है कि जीवन का पहिया भगवान सूर्य की कृपा से ही चलता है।

सूर्य उपासना करने वाले लोग भगवान आदित्य, भगवान भास्कर, भगवान दिवाकर, भगवान प्रभाकर, भगवान मार्तण्ड, भगवान दिनकर और भगवान रवि के विभिन्न नामों से सूर्य देव की आराधना करते हैं।

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