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Wednesday, December 4, 2024
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अस्ताचलगामी सूर्य को दिया गया अर्घ्य, कल शुक्रवार की सुबह उगते सूर्य को

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पटना से स्थानीय संपादक जितेन्द्र कुमार सिन्हा।

07 नवम्बर, 2024

सभी छठव्रती अस्तलगामी अर्घ्य के लिए सज-धज कर गंगा, तालाब, पोखर जैसे जल स्रोतों पर पहुंचे। बांस की टोकरी में फल, ठेकुआ, चावल के लड्डू और अन्य पूजा सामग्री सजाकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया गया।

तीसरे दिन अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य-

अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देते व्रती। फोटो- देश वाणी।

छठ पूजा के तीसरे दिन गुरुवार को व्रतधारियों ने अस्तगामी (डूबते) सूर्य को पहला अर्घ्य अर्पित किया। सूर्य देव की आराधना और संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए समर्पित इस पूजा का पहला अर्घ्य सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

अस्त और उदय का संदेश-

दुनिया कहती है कि जिसका उदय होता है उसका अस्त निश्चित है, लेकिन छठ महापर्व यह संदेश देता है कि जो अस्त होता है उसका उदय भी सुनिश्चित है। यह पर्व सामाजिक सौहार्द, सद्भाव, शांति, समृद्धि, और सादगी का प्रतीक है। विशेष रूप से यह बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल में माघई, मैथिल और भोजपुरी समाज द्वारा मनाया जाता है। अब यह महापर्व कई देशों में मनाया जाने लगा है।

अपने घरों की छतों पर अर्घ्य देती व्रती।
फोटो- -Desh Vani

पौराणिक और वैज्ञानिक मान्यताएं-

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सायंकाल में सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, इसलिए छठ पूजा में शाम को सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, ढलते सूर्य को अर्घ्य देने से मुसीबतों से मुक्ति और सेहत में सुधार होता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार, ढलते सूर्य को अर्घ्य देने से आँखों की रोशनी बढ़ती है।

पटना में कई व्रती घरों की छतों पर की पूजा-

पटना के कई निवासी अपने घरों की छतों पर छठ व्रत करते हैं। मित्रमंडल कॉलोनी की स्मृति राखी कहती हैं कि छत पर पूजा करने से घर के बुजुर्ग भी शामिल हो सकते हैं। साकेत विहार की कृति सिन्हा बताती हैं कि घर पर पूजा करने से आसपास के लोग भी उत्साह के साथ हिस्सा लेते हैं।

स्थानीय लोगों के विचार-

*पंकज कुमार और अर्चना सिन्हा (एजी कॉलोनी और फ्रेंड्स कॉलोनी)- घर की छत पर अर्घ्य देने से सहूलियत मिलती है और यह हमें संतुष्टि देता है।

*अनिल कुमार और सुनिल कुमार (सर्वोदय नगर)- छत पर अर्घ्य देना हमारी परम्परा बन गई है।

*पुष्पलता सिन्हा (गोला रोड)- पूजा स्वच्छता, श्रद्धा, निष्ठा और पवित्रता के साथ होनी चाहिए, चाहे अर्घ्य कहीं भी दिया जाए।

*वीणा जायसवाल (कंकड़बाग)- मैं चैती और कार्तिक छठ दोनों करती हूं और अपने घर की छत पर ही पूजा करती हूं।

छठ पूजा के पवित्र पर्व में समाज का हर वर्ग, हर आयु के लोग जुड़कर सौहार्द, आस्था और निष्ठा का परिचय देते हैं।

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