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चार दिवसीय छठ पर्व 1 अप्रैल से शुरू

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जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना | 31 मार्च 2025

प्रारंभ और समापन तिथि-

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तक मनाया जाने वाला छठ पर्व, जिसे सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है, इस वर्ष 1 अप्रैल (मंगलवार) से शुरू होकर 4 अप्रैल (शुक्रवार) तक चलेगा।

लेखक जितेंद्र कुमार सिन्हापटना में स्थानीय संपादक हैं। फ़ाइल फोटो– देश वाणी।

छठ पर्व का चार दिवसीय कार्यक्रम

  1. नहाय-खाय (1 अप्रैल, मंगलवार) – इस दिन व्रती शुद्धता का पालन करते हुए स्नान कर सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं।
  2. खरना (2 अप्रैल, बुधवार) – इस दिन गुड़ की खीर, रोटी और फल का प्रसाद बनाकर व्रती रात में ग्रहण करते हैं, इसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होता है।
  3. संध्या अर्घ्य (3 अप्रैल, गुरुवार) – डूबते सूर्य को नदी, तालाब या कुंड में खड़े होकर अर्घ्य दिया जाता है।
  4. उषा अर्घ्य और पारण (4 अप्रैल, शुक्रवार) – उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन किया जाता है।

छठ पूजा का महत्व और विधि

यह व्रत भगवान सूर्य की उपासना के लिए किया जाता है, जिसमें 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखा जाता है। इस दौरान पवित्र स्नान, जल से परहेज, और डूबते-उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा निभाई जाती है। मान्यता है कि यह व्रत भगवान सूर्य को धन्यवाद देने और संतान की सुख-समृद्धि के लिए विशेष रूप से किया जाता है।

पुरुष और महिलाएं दोनों रखते हैं व्रत

छठ व्रत को महिलाएं और पुरुष समान रूप से करते हैं। कुछ लोग अपनी मनोकामना पूर्ण होने के लिए जल में खड़े होकर अनुष्ठान करते हैं, जिसे “कशटी व्रत” कहा जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के मैथिल, माघई और भोजपुरी समुदायों द्वारा मनाया जाता है। अब यह विदेशों में भी लोकप्रिय हो रहा है।

छठ व्रत की प्रमुख रस्में

  • पहला दिन (नहाय-खाय): व्रती स्नान करके शुद्धता का पालन करते हुए भोजन बनाते और ग्रहण करते हैं।
  • दूसरा दिन (खरना): गुड़ की खीर, रोटी, फल, और कहीं-कहीं दाल-चावल का प्रसाद बनाया जाता है। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होता है।
  • तीसरा दिन (संध्या अर्घ्य): व्रती बांस की सूप में ठेकुआ, फल और अन्य प्रसाद लेकर जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं।
  • चौथा दिन (उषा अर्घ्य और पारण): व्रती सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा का समापन करते हैं और पारण कर उपवास तोड़ते हैं।

छठ पर्व पूरी विधि-विधान और आस्था के साथ मनाया जाता है, जिसमें भक्तों की अपार श्रद्धा देखने को मिलती है।

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