रक्सौल, अनिल कुमार।
आर्य समाज रक्सौल के शताब्दी समारोह और 51 कुण्डीय वैदिक महायज्ञ का मंगलवार को अंतिम दिन धार्मिक उत्साह और उल्लास के साथ संपन्न हुआ।
शताब्दी समारोह के अंतिम दिन, शाम को भी एक विशेष सत्र आयोजित किया गया है। शाम 6:30 बजे से रात 8 बजे तक भजन संध्या और प्रवचन का कार्यक्रम होगा।
आचार्य हरिशंकर अग्निहोत्री और बहन अलका आर्या के मार्गदर्शन में महायज्ञ की विधिवत पूर्णाहुति की गयी। इस पावन अवसर पर ओमप्रकाश गुप्ता और उनकी पत्नी आशा देवी ने मुख्य यजमान के रूप में अपनी भूमिका निभायी।
आचार्य ने बताया यज्ञ का महत्व और स्त्री-पुरुष का समान अधिकार-
आचार्य हरिशंकर अग्निहोत्री ने यज्ञ के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि यह संसार का सर्वश्रेष्ठ कर्म है, जिसे करने का सौभाग्य केवल मनुष्य को प्राप्त है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यज्ञ न केवल वातावरण को शुद्ध करता है, बल्कि समाज में एकता और समरसता भी लाता है।
उन्होंने यह महत्वपूर्ण बात भी दोहराई कि यज्ञोपवीत (जनेऊ) धारण करने का अधिकार स्त्री और पुरुष दोनों को समान रूप से है, और इसके बिना किया गया यज्ञ अधूरा माना जाता है। इस दौरान, बहन अलका आर्या ने अपने मधुर भजनों से सभी उपस्थित श्रद्धालुओं का मन मोह लिया और उन्हें भक्तिभाव से भर दिया।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और सक्रिय कार्यकर्ताओं की भूमिका-
आयोजन स्थल पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, और पूरा वातावरण वैदिक मंत्रोच्चार और मधुर भजनों से गूंज उठा। भक्तों ने श्रद्धापूर्वक यज्ञ में आहुतियां डालीं और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया। इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में प्रो. रामाशंकर प्रसाद, ओमप्रकाश गुप्ता, ईश्वर दत्त आर्य, मनोज आर्य, ईश्वर चंद्र आर्य, गुलशन आर्य, हरिलाल ठाकुर, पं. राजीव शास्त्री, ज्ञानचंद आर्य सहित कई कार्यकर्ताओं ने सक्रिय रूप से सहयोग किया। यह शताब्दी समारोह रक्सौल नगर के लिए गौरव का विषय बन गया है, और लोगों में इसे लेकर गहरी आस्था और उत्साह देखने को मिला।
आज शाम होगी अंतिम भजन संध्या और प्रवचन का आयोजन-
शताब्दी समारोह के अंतिम दिन, शाम को भी एक विशेष सत्र आयोजित किया गया है। शाम 6:30 बजे से रात 8 बजे तक भजन संध्या और प्रवचन का कार्यक्रम होगा। इस सत्र में कई आचार्यगण धर्म, समाज और संस्कारों पर अपने महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत करेंगे।
Motihari | Raxaul | Arya Samaj Raxaul Centenary Celebration: 51-Kundiya Vedic Mahayagya Concludes with Devotional Grandeur.