कस्टम और जीआरपी के बीच विवाद की खबर, थानाध्यक्ष ने किया इंकार
Nepal Boarder Latest News by अनिल कुमार।
रक्सौल रेलवे स्टेशन पर रविवार को कस्टम टीम ने तस्करी कर लाई जा रही 2 करोड़ 63 लाख रुपये मूल्य की ई-सिगरेट जब्त की है।
इस दौरान कस्टम और राजकीय रेल पुलिस (जीआरपी) के बीच विवाद की खबर सामने आई। कस्टम टीम ने आरोप लगाया कि जीआरपी ने उन्हें उनके अधिकार क्षेत्र को लेकर रोकने की कोशिश की, हालांकि जीआरपी के थानाध्यक्ष पवन कुमार ने इन आरोपों से इंकार किया है।
ई-सिगरेट (E-Cigarette) एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जिसे पारंपरिक सिगरेट का विकल्प माना जाता है। इसे वाष्पशील निकोटीन उत्पाद (Vaping Device) भी कहा जाता है। इसमें तंबाकू की बजाय निकोटीन युक्त तरल (ई-लिक्विड) का उपयोग होता है, जिसे गर्म करके वाष्प में बदल दिया जाता है। भारत में इसके निर्यात पर रोक है।
घटना के दौरान अफरा-तफरी मच गई, जब तस्करी की सूचना पर छापेमारी करने पहुंचे कस्टम के अधिकारियों और जीआरपी के बीच समन्वय की कमी के कारण आपसी कहासुनी हो गई। कस्टम टीम का नेतृत्व अधीक्षक और तीन इंस्पेक्टर कर रहे थे। जीआरपी थानाध्यक्ष पवन कुमार ने कस्टम अधिकारियों को स्टेशन पर रोका और बाद में जीआरपी थाना पर डिटेन कर लिया।
चाइनीज ई-सिगरेट की तस्करी
सूचना मिली थी कि प्रतिबंधित चाइनीज ई-सिगरेट की बड़ी खेप सत्याग्रह एक्सप्रेस से तस्करी की जा रही है। इसी आधार पर रक्सौल कस्टम कार्यालय की टीम ने छापेमारी की। टीम में अधीक्षक समेत संतोष कुमार, जफर आलम, रोशन कुमार, मनीष कुमार तिवारी, नीरज जेवियर कल्लू, विमल कुमार और प्रमोद कांत शामिल थे। छापेमारी के दौरान ई-सिगरेट के 8 बड़े बंडल बरामद किए गए, जिनकी अनुमानित कीमत लगभग 2.63 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
कस्टम और जीआरपी के बीच विवाद
कस्टम टीम के अनुसार, तस्करी की वस्तुओं को जब्त करने का अधिकार उनके पास है, और इसके लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं।
कस्टम सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लेटफॉर्म पर छापेमारी के दौरान जीआरपी थानाध्यक्ष पवन कुमार अन्य पुलिस बल के साथ पहुंचे और बरामदगी को लेकर दोनों एजेंसियों के बीच विवाद हो गया।
इधर प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जीआरपी को कस्टम टीम का सहयोग करना चाहिए था, लेकिन उल्टा वे कस्टम अधिकारियों से उलझ पड़े।
जीआरपी थानाध्यक्ष पवन कुमार ने कहा, “कोई विवाद नहीं है। यह संयुक्त अभियान था, जिसके तहत ई-सिगरेट बरामद की गई।” हालांकि, मामला बड़े अधिकारियों के संज्ञान में पहुंच चुका है।
निष्कर्ष:
यह घटना तस्करी रोकने वाली एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता को रेखांकित करती है। प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी रोकने के लिए संयुक्त प्रयासों की अहमियत और पारदर्शिता सुनिश्चित करना जरूरी है।
क्या है? ई- सिगरेट-
ई-सिगरेट (E-Cigarette) एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जिसे पारंपरिक सिगरेट का विकल्प माना जाता है। जिसे सांस में लिया जाता है।इसे वेप्स, ई-हुक्का, वेप पेन, टैंक सिस्टम, मॉड, और इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) भी कहा जाता है। ई-सिगरेट का इस्तेमाल करना वेपिंग कहलाता है।
इसे वाष्पशील निकोटीन उत्पाद (Vaping Device) भी कहा जाता है। इसमें तंबाकू के बजाय निकोटीन युक्त तरल (ई-लिक्विड) का उपयोग होता है, जिसे गर्म करके वाष्प में बदल दिया जाता है।
ई-सिगरेट में प्रयोग होने वाले लिक्विज को ई-लिक्विड, ई-जूस, या वेप जूस ऊी कहते हैं। जिसमें निकोटीन, प्रोपिलीन ग्लाइकॉल, वनस्पति ग्लिसरीन व स्वाद बनाने वाले केमिकल होता है। कभी-कभी ई-सिगरेट में मारिजुआना, जड़ी-बूटियां, या तेल भी हो सकते हैं।
ई-सिगरेट के मुख्य हिस्से:
- बैटरी: वाष्प बनाने के लिए ऊर्जा प्रदान करती है।
- हीटिंग कॉइल: ई-लिक्विड को गर्म करता है।
- ई-लिक्विड चैंबर: इसमें निकोटीन युक्त या बिना निकोटीन वाले तरल का भंडारण होता है।
- माउथपीस: वाष्प खींचने के लिए उपयोग किया जाता है।
ई-सिगरेट के बारे में मुख्य बातें:
- निकोटीन की मौजूदगी: अधिकांश ई-सिगरेट्स में निकोटीन होता है, जो नशे की लत पैदा कर सकता है।
- पारंपरिक सिगरेट से अलग: इसमें तंबाकू का धुआं नहीं होता, लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित नहीं है।
- स्मगलिंग का कारण: भारत में 2019 से ई-सिगरेट की बिक्री, आयात और विज्ञापन पर प्रतिबंध है। इसकी मांग के चलते इसे गैर-कानूनी तरीके से तस्करी के माध्यम से लाया जा रहा है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव:
हालांकि ई-सिगरेट को पारंपरिक सिगरेट की तुलना में कम हानिकारक बताया गया है, लेकिन यह:
- फेफड़ों की समस्याएं,
- हृदय रोग,
- और निकोटीन की लत पैदा कर सकती है।
इसलिए भारत सरकार ने इसे प्रतिबंधित कर दिया है।