लोक आस्था के महापर्व का तीसरा दिन
रक्सौल। अनिल कुमार।
लोक आस्था का महापर्व छठ के तीसरे और सबसे महत्वपूर्ण दिन गुरुवार को व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्रों में आस्था का जनसैलाब उमड़ा, जहां हजारों श्रद्धालुओं ने पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना की।
छठ घाटों पर उमड़ी भीड़
रक्सौल के थाना परिसर स्थित सूर्य मंदिर छठ घाट, आश्रम रोड छठ घाट, नागा मठिया छठ घाट, त्रिलोकी नगर छठ घाट और कस्टम छठ घाट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली। श्रद्धालु हाथों में फल, गन्ना, नारियल और ठेकुआ से भरे दउरा व सूप लेकर घाटों पर पहुंचे और विधिपूर्वक अर्घ्य अर्पित किया।
पारंपरिक परिधान और भक्तिमय माहौल
महिलाएं पारंपरिक परिधानों में सजी हुई थीं, वहीं पुरुष भी पीले वस्त्र और साफा पहने नजर आए। पूरे माहौल में छठ गीतों की गूंज और दीपों की रोशनी से एक अद्भुत छटा बिखर रही थी।
सुख-समृद्धि की कामना के साथ अर्घ्य
छठ व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही महापर्व का समापन होगा। इस दिन व्रतधारी 36 घंटे के कठिन निर्जला उपवास को तोड़कर प्रसाद ग्रहण करेंगे।
सुरक्षा और सफाई के विशेष इंतजाम
प्रशासन द्वारा घाटों पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। साफ-सफाई और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए, जिससे श्रद्धालु निर्बाध रूप से पूजा कर सकें। स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों ने भी व्रतियों और श्रद्धालुओं की सहायता के लिए विशेष इंतजाम किए थे।
भक्तिभाव से सराबोर सीमावर्ती क्षेत्र
छठ पर्व की इस भव्यता और भक्तिभाव से रक्सौल सहित पूरे सीमावर्ती क्षेत्र में आध्यात्मिक वातावरण बना हुआ है, जहां श्रद्धालु बड़ी आस्था के साथ भगवान सूर्य की अराधना कर रहे हैं।