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Friday, November 14, 2025
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पटना में दो दिवसीय साहित्य महोत्सव में देशभर के लगभग 150 साहित्यकारों का विमर्श, क्षेत्रीय भाषा की महत्ता पर ज़ोर

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साहित्य के विविध आयामों पर हुआ विमर्श, भाषा की महत्ता पर दिया गया जोर

स्थानी संपादक जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 21 फरवरी ::

पटना के बाबू जगजीवन राम राजनीतिक अध्ययन एवं शोध संस्थान सभागार में दो दिवसीय बिहार साहित्य महोत्सव का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों के लगभग 150 साहित्यकारों ने भाग लिया।

महोत्सव का शुभारंभ श्री अशोक कुमार सिन्हा (एडिशनल डायरेक्टर, राज्य संग्रहालय, बिहार), श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी (वरिष्ठ साहित्यकार), श्रीमती ऊषा सिन्हा (पूर्व विधायक एवं वरिष्ठ साहित्यकार) और श्री सुरेश सोनपुरे (कवि एवं सेवा निवृत्त अधिकारी, बीएचईएल, भोपाल) ने दीप प्रज्वलित कर किया।

मुख्य बिंदु:

  • भाषा की महत्ता: अशोक कुमार सिन्हा ने भाषा को संवाद और संप्रेषण का माध्यम बताते हुए इसे राष्ट्र की अस्मिता और पहचान का प्रतीक कहा।
  • क्षेत्रीय भाषाओं पर जोर: भगवती प्रसाद द्विवेदी ने हिंदी के साथ क्षेत्रीय भाषाओं में भी उत्कृष्ट साहित्य सृजन करने की आवश्यकता पर बल दिया।
  • साहित्य का राष्ट्र निर्माण में योगदान: ऊषा सिन्हा ने साहित्य की बहुआयामी उपयोगिता पर चर्चा करते हुए शुद्ध भाषा के प्रयोग को अनिवार्य बताया।
  • तकनीकी युग में भाषा: सुरेश सोनपुरे ने बताया कि तकनीकी क्षेत्र में भाषा की उपयोगिता व्यापार और विज्ञापन के माध्यम से बढ़ती जा रही है।

लोकभाषाओं का महत्व और साहित्य सत्र:
महोत्सव में भोजपुरी, मगही, अंगिका, मैथिली, बज्जिका, अवधी जैसी क्षेत्रीय भाषाओं के विशेष सत्र आयोजित किए गए, जहां रचनाकारों ने अपनी उत्कृष्ट कृतियों का पाठ किया। पूनम कतरियार ने आंचलिक भाषाओं पर सारगर्भित वक्तव्य दिया।

काव्य और गजल सत्र:
महोत्सव में कविता और गजल सत्र विशेष आकर्षण रहे।

  • मधुरेश, प्रदीप कुमार “प्राश”, अनामिका सिंह, ब्रजमोहन सिन्हा, कुमुद साहा, करुणा कुमारी कल्पना, अंजनी प्रसाद दुबे, मीना परिहार, सूर्य प्रकाश उपाध्याय, डॉ. प्रियंका साहा, अजय प्रसाद, अर्चना जी सहित कई साहित्यकारों की रचनाओं को खूब सराहा गया।
  • अनामिका सिंह की सुमधुर गजल प्रस्तुति ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी।

पुस्तक लोकार्पण और सम्मान समारोह:
इस अवसर पर ऊषा सिन्हा की पुस्तक “सिरहाने बैठे अहसास” और डॉ. अभिषेक कुमार के काव्य संग्रह “पुरानी डायरी के चुनिंदा पन्ने” का लोकार्पण किया गया। वरिष्ठ पत्रकार नलिनी सिंह, भगवती प्रसाद द्विवेदी, ब्रज मोहन जी, किशोर सिन्हा ने इन पुस्तकों की समीक्षा की।

अहमदाबाद के सुप्रसिद्ध कवि प्रदीप कुमार “प्राश” सहित कई साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। बलिया के डॉ. विद्यासागर उपाध्याय ने वर्तनीगत अशुद्धियों पर अपने विचार साझा किए।

कार्यक्रम का समापन अध्यक्ष कमल किशोर वर्मा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

Patna|Two-Day Literary Festival in Patna Witnesses Discussion Among 150 Writers from Across the Country, Emphasis on the Importance of Regional Languages.

The two-day Bihar Literary Festival was organized at the Babu Jagjivan Ram Institute of Political Studies and Research Auditorium in Patna. Around 150 writers from various states participated in the event.

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