विद्यालय के अलावे अपने घर पर भी नि:शुल्क शिक्षा देकर कई डॉक्टर, अभियंता और अन्य पेशेवर तैयार किए। उनके परिवार के 47 सदस्यों में से 24 से अधिक लोग डॉक्टर, अभियंता और अन्य प्रमुख पदों पर कार्यरत हैं।
पटना में स्थानीय संपादक जितेंद्र कुमार सिन्हा।
गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के ध्वजवाहक और शिक्षा जगत के युगपुरुष, हेमजापुर निवासी पूर्व प्राचार्य देवदत्त प्रसाद के आकस्मिक निधन से पूरे शिक्षा क्षेत्र में शोक की लहर है। इस दुखद घटना की जानकारी IFWJ के महासचिव सुधीर मधुकर ने दी।
श्री मधुकर ने बताया कि स्व. देवदत्त प्रसाद ने शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र में अमिट छाप छोड़ी। तीन पीढ़ियों तक विद्यार्थियों को शिक्षित करने वाले स्व. प्रसाद का योगदान अतुलनीय है। उनसे शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों ने न केवल अकादमिक उपलब्धियां हासिल कीं, बल्कि उनका संपूर्ण व्यक्तित्व भी विकसित हुआ।
प्रमुख शोक व्यक्त करने वाले लोग:
स्व. देवदत्त प्रसाद के निधन पर हैप्पी पटना फैमिली, इंदिरा आईवीएफ के बिहार हेड डॉ. दयानिधि, मेदांता अस्पताल के न्यूरो निदेशक डॉ. प्रभात रंजन, आईजीआईएमएस के सर्जन डॉ. प्रेम प्रकाश सहित डॉ. सौरभ, डॉ. अमित आनंद, डॉ. रणधीर, डॉ. पूजा, पत्रकार सुधीर मधुकर, मुकेश कुमार, राकेश कुमार, और अन्य प्रमुख व्यक्तियों ने शोक व्यक्त किया।
शिक्षा के क्षेत्र में योगदान:
स्व. देवदत्त प्रसाद उच्च विद्यालय, सुंदरपुर के प्राचार्य के रूप में सेवाएं दे चुके थे। उन्होंने अपने घर पर भी नि:शुल्क शिक्षा देकर कई डॉक्टर, अभियंता और अन्य पेशेवर तैयार किए। उनके परिवार के 47 सदस्यों में से 24 से अधिक लोग डॉक्टर, अभियंता और अन्य प्रमुख पदों पर कार्यरत हैं।
परिवार में शोक:
स्व. देवदत्त प्रसाद अपने पीछे पुत्र परमात्मा शरण सिंह, ई. इंदुभूषण सिंह, ई. भूपेश प्रसाद सिंह, ई. पंचम, ई. शशिष, पुत्री डॉ. मंजुला रानी मंडल और मृदुला पटेल सहित एक विशाल परिवार छोड़ गए हैं।
उनके निधन को शिक्षा और समाज दोनों के लिए एक बड़ी क्षति माना जा रहा है।