पटना से स्थानीय संपादक जितेन्द्र कुमार सिन्हा की रिपोर्ट
एचओडी डॉ प्रियदर्शी आलोक ने कहा है कि जीवन की गुणवत्ता सुधारने के साथ कार्यक्षेत्र को सशक्त बनाती है व्यावसायिक चिकित्सा। वे विश्व व्यवसायिक चिकित्सा दिवस के महत्व पर बोल रहे थें।
विश्व व्यावसायिक चिकित्सा दिवस हर वर्ष 27 अक्टूबर को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसके वैश्विक प्रभाव को उजागर करना है।
यह दिन व्यावसायिक चिकित्सकों, मरीजों, और स्वास्थ्य सेवा संगठनों के लिए एक मंच प्रदान करता है, ताकि वे इस क्षेत्र के महत्व और इसके सकारात्मक प्रभावों को साझा कर सकें।
विकासशील देशों में, जहाँ इस सेवा के बारे में जागरूकता और सुविधाओं की कमी है, यह दिन लोगों को व्यावसायिक चिकित्सा के लाभों से अवगत कराने का एक अवसर है। विभिन्न आयोजन, कार्यशालाएं और सार्वजनिक जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से इस दिन का उद्देश्य समाज में व्यावसायिक चिकित्सा की भूमिका को सशक्त बनाना और इसे हर वर्ग के लोगों तक पहुँचाना है। यह जानकारी एचओडी, डॉ. प्रियदर्शी आलोक ने दी।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष विश्व व्यावसायिक चिकित्सा महासंघ (WFOT) ने थीम ‘सभी के लिए व्यावसायिक चिकित्सा’ घोषित की है। व्यावसायिक चिकित्सा एक स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र है जो लोगों की शारीरिक, मानसिक या संज्ञानात्मक चुनौतियों से निपटने में मदद करता है ताकि वे अपने दैनिक कार्यों को स्वतंत्र रूप से कर सकें। इसका उद्देश्य मरीज की क्षमता और आत्मनिर्भरता को बढ़ाना है। चिकित्सक मरीज के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हस्तक्षेप करते हैं, जैसे काम, घर या समुदाय में उनकी भूमिका।
विकासशील देशों में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच सीमित होती है, और कई लोग शारीरिक या मानसिक विकारों के बाद पुनर्वास सेवाओं का लाभ नहीं उठा पाते। व्यावसायिक चिकित्सा इस स्थिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उदाहरण के तौर पर, दुर्घटना, स्ट्रोक, मिर्गी, स्पाइनल कॉर्ड इंजरी (रीढ़ की हड्डी की चोट), सेरेब्रल पाल्सी और ऑटिज्म जैसी बीमारियों से पीड़ित लोग इससे लाभान्वित हो सकते हैं।
डॉ. आलोक ने बताया कि जहाँ व्यावसायिक चिकित्सा मददगार साबित हो सकती है, वहाँ कई अन्य रोग भी हैं जहाँ इसका हस्तक्षेप प्रभावी होता है।
(1) **स्ट्रोक**:
स्ट्रोक के बाद शरीर का एक हिस्सा निष्क्रिय हो सकता है। व्यावसायिक चिकित्सा द्वारा ऐसे मरीजों को प्रभावित हिस्से को फिर से सक्रिय करने और दैनिक गतिविधियों जैसे खाना बनाना, साफ-सफाई करना, कपड़े पहनना आदि में मदद दी जाती है, जिससे उनकी आत्मनिर्भरता बढ़ती है।
(2) **मिर्गी**:
मिर्गी के कारण मस्तिष्क की क्षमताओं पर असर पड़ सकता है। व्यावसायिक चिकित्सक संज्ञानात्मक प्रशिक्षण देकर मस्तिष्क की कार्यक्षमता में सुधार करते हैं, ताकि मरीज समाज और कार्यक्षेत्र में योगदान दे सकें।
(3) **सेरेब्रल पाल्सी**:
यह बच्चों के शारीरिक विकास में बाधा डालती है। व्यावसायिक चिकित्सा द्वारा मांसपेशीय नियंत्रण सुधारने के लिए विशेष उपकरणों का उपयोग किया जाता है।
(4) **अस्थि-मज्जा विकार**:
शारीरिक श्रम और भारी कार्यों के कारण लोग पीठ दर्द और अन्य विकारों से पीड़ित होते हैं। व्यावसायिक चिकित्सा इन मरीजों को सही मुद्रा और कार्यप्रणाली सिखाकर उनके दर्द को कम करने और कार्यक्षेत्र में प्रदर्शन सुधारने में मदद करती है।
(5) **ऑटिज्म**:
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे सामाजिक संचार में चुनौतियों का सामना करते हैं। व्यावसायिक चिकित्सा उन्हें दैनिक कार्यों में भाग लेने योग्य बनाने के लिए इंद्रियों के अनुभवों को व्यवस्थित करती है।
(6) **रीढ़ की हड्डी की चोट**:
ऐसी चोट से चलने-फिरने में कठिनाई हो सकती है। व्यावसायिक चिकित्सा ऐसे मरीजों को व्हीलचेयर, घर और कार्यस्थल में अनुकूलन जैसी सहायता प्रदान करती है, जिससे वे दैनिक जीवन में आत्मनिर्भर बन सकें।
बिहार कॉलेज ऑफ फिजियोथेरेपी और व्यावसायिक चिकित्सा के एचओडी सह सीओ, डॉ. किशोर कुमार ने जानकारी दी कि ओपीडी में प्रतिदिन स्ट्रोक, सेरेब्रल पाल्सी, स्पाइनल कॉर्ड इंजरी आदि के कई मरीज व्यावसायिक चिकित्सा हस्तक्षेप का लाभ उठा रहे हैं। हर साल हजारों मरीजों का उपचार किया जाता है। बिहार कॉलेज को एआईओटीए और डब्ल्यूएफओटी से मान्यता प्राप्त है।
डॉ. प्रियदर्शी आलोक ने बताया कि कॉलेज में स्नातक और परास्नातक स्तर के पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं। हर बैच में 20 छात्रों का प्रवेश होता है। देश में AIOTA से मान्यता प्राप्त 30 कॉलेज हैं, जहाँ से व्यावसायिक चिकित्सक अपने निजी क्लीनिक, पुनर्वास केंद्र, एनजीओ, सरकारी और निजी अस्पतालों में सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं।
व्यावसायिक चिकित्सा जीवन की गुणवत्ता सुधारने के साथ-साथ समाज और कार्यक्षेत्र में सशक्त बनाती है।
Occupational therapy improves the quality of life and empowers the workplace – Dr. Priyadarshi
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