✍ अवधेश कुमार शर्मा | देशवाणी
नरकटियागंज में संपन्न हुई तीन दिवसीय कार्यशाला
बेतिया : गोदावरी देवी रामचंद्र प्रसाद सरस्वती विद्या मंदिर, नरकटियागंज की कार्शाला में पंचपदी शिशण पद्धति स्कूल में लागू करने की विशेष चर्चा हुंई।
स्कूल में आयोजित तीन दिवसीय आचार्य कार्यशाला का समापन शनिवार को हुआ। कार्यशाला में स्कूल के उन्नयन व बेहतरी पर विशेष विमर्श हुआ। कार्यक्रम में उच्च माध्यमिक विद्यालय नरकटियागंज के प्राचार्य के साथ अन्य स्कूलों का प्राचार्य के अलावा कृषि पदाधिकारी एवं अनुमंडल पदाधिकारी, नरकटियागंज भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

समापन सत्र का उद्घाटन एवं अतिथि सम्मान
समापन सत्र का उद्घाटन दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. अरविंद कुमार तिवारी (प्रधानाचार्य, उच्च माध्यमिक विद्यालय, नरकटियागंज) उपस्थित रहे। अन्य प्रमुख अतिथियों में शामिल थे –
- जटाशंकर साह (प्रधानाचार्य, सरस्वती शिशु मंदिर, शांतिबाग, पांडेय टोला, नरकटियागंज)
- सुदर्शन कुमार (प्रधानाचार्य, सरस्वती शिशु मंदिर, मुजरा, रामनगर)
- बाणी कांत झा (प्रधानाचार्य, जीडीआरपी विद्या मंदिर)
- आशीष अग्रवाल (सह-सचिव)
- जीतेंद्र जायसवाल (कोषाध्यक्ष)
- प्रदीप दूबे (उपाध्यक्ष)
मुख्य विषयों पर चर्चा
समापन सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. अरविंद कुमार तिवारी ने कहा कि विद्या भारती संचालित विद्यालयों में आगामी एवं विगत सत्र के कार्यक्रमों की समीक्षा कर नई नीतियाँ तय की जाती हैं। इस कार्यशाला में विशेष रूप से निम्नलिखित बिंदुओं पर चर्चा हुई –
- आगामी सत्र में +2 की मान्यता प्राप्त करने की योजना।
- शिशु वाटिका के लिए अलग भवन निर्माण का प्रस्ताव।
- पंचपदी शिक्षण पद्धति और इसके प्रभावी क्रियान्वयन पर मंथन।
- टीएलएम (Teaching Learning Material) और पीएलएम (Personalized Learning Model) पर विस्तृत विचार-विमर्श।
आचार्यों एवं कर्मचारियों का सम्मान
कार्यशाला के दौरान सभी आचार्य-आचार्या और कर्मचारियों को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम संचालन और सहभागिता
- आगत अतिथियों का परिचय – आचार्य प्रेमचंद्र मिश्र
- अनुभव कथन – आचार्य सुरेश कुमार यादव
- कार्यक्रम का वृत्त कथन – आचार्य अभय कुमार तिवारी
- उद्घोषणा – विनोद दूबे
कुल 139 बिंदुओं पर वृत्त कथन प्रस्तुत किया गया।
प्रतिनिधियों की उपस्थिति
इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में –
- प्रांतीय पदाधिकारी – 1
- स्थानीय समिति के पदाधिकारी – 4
- आचार्य-आचार्या – 44
- कर्मचारी बंधु – 18
इसके अतिरिक्त, कृषि पदाधिकारी एवं अनुमंडल पदाधिकारी, नरकटियागंज भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
समाप्ति
तीन दिवसीय इस कार्यशाला में सभी शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मी शामिल रहे और उन्होंने अपने अनुभव साझा किए।
Bettiah | West Champaran| A three-day Acharya workshop was organized at Godavari Devi Ramchandra Prasad Saraswati Vidya Mandir School at Narkatiaganj to discuss the improvement of the school and the implementation of the “Panchpadi teaching methodology.”
क्या है? पंचपदी शिक्षण पद्धति
पंचपदी शिक्षण पद्धति विद्या भारती द्वारा अपनायी गई एक प्रभावी शिक्षण पद्धति है, जो भारतीय शिक्षाशास्त्री महर्षि दयानंद सरस्वती और महर्षि अरविंद के विचारों पर आधारित है। यह विधि छात्रों की समझ और व्यावहारिक ज्ञान को विकसित करने के लिए पाँच चरणों में शिक्षण को विभाजित करती है।
पंचपदी शिक्षण पद्धति के पाँच चरण:
- अधिप्रवेशन (Introduction) – विषय की प्रस्तावना दी जाती है, जिससे छात्रों की रुचि जागृत हो।
- प्रस्तुतीकरण (Presentation) – शिक्षक विषय-वस्तु को रोचक और सरल रूप में प्रस्तुत करता है।
- संघटन (Association) – नए ज्ञान को पूर्व ज्ञान से जोड़ा जाता है, जिससे छात्र आसानी से समझ सकें।
- व्यवहार (Application) – प्राप्त ज्ञान को जीवन में कैसे लागू किया जाए, इस पर जोर दिया जाता है।
- सामर्थ्य (Evaluation/Recapitulation) – छात्रों की समझ को परखा जाता है और उन्हें आत्म-विश्लेषण का अवसर दिया जाता है।
विशेषताएँ:
- यह शिक्षण विधि संस्कार आधारित शिक्षा को बढ़ावा देती है।
- इसमें बौद्धिक, भावनात्मक और व्यावहारिक शिक्षा का संतुलित समावेश होता है।
- छात्र सक्रिय सहभागिता के माध्यम से सीखते हैं, जिससे उनकी जिज्ञासा बनी रहती है।
निष्कर्ष:
पंचपदी शिक्षण पद्धति पारंपरिक और आधुनिक शिक्षा के समावेश से विकसित एक शिक्षण तकनीक है, जो छात्रों को केवल रटने के बजाय विषय की गहरी समझ प्रदान करती है।