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Saturday, October 18, 2025
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इस साल, 2025 में लगेंगे दो चंद्रग्रहण व दो सूर्यग्रहण – भारत में दिखेगा एक

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नये वर्ष में पूरे चार बार लगेंगे ग्रहण( Solar and lunar Eclipses)

07 सितम्बर रविवार को लगने वाला खग्रास चंद्रग्रहण भारत में दिखेगा।यह एक दुर्लभ और रोमांचक खगोलीय घटना होगी।

पटना से स्थानीय संपादक जितेन्द्र कुमार सिन्हा।

1. 2025 में कुल चार ग्रहण

  • दो चंद्रग्रहण और दो सूर्यग्रहण होंगे।
  • इनमें से केवल एक चंद्रग्रहण भारत में दिखाई देगा।
लेखक/ जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना में स्थानीय संपादक हैं। फाइल फोटो।

2. ग्रहणों का कैलेंडर

  • 14 मार्च, शुक्रवार: खग्रास चंद्रग्रहण (भारत में नहीं)।
  • 29 मार्च, शनिवार: खंडग्रास सूर्यग्रहण (भारत में नहीं)।
  • 7 सितंबर, रविवार: खग्रास चंद्रग्रहण (भारत में दिखाई देगा)।
  • 21 सितंबर, रविवार: खंडग्रास सूर्यग्रहण (भारत में नहीं)।

3. 7 सितंबर का खग्रास चंद्रग्रहण – मुख्य आकर्षण

  • भारत में शुरुआत से अंत तक देखा जा सकेगा।
  • चंद्रमा का रंग गहरा लाल या भूरापन लिए होगा।
  • सूतक दोपहर 12:57 से शुरू।

4. अन्य ग्रहणों का विवरण

  • मार्च और सितंबर के दोनों सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखेंगे।
  • ये ग्रहण अन्य देशों जैसे अमेरिका, यूरोप और न्यूजीलैंड में दिखाई देंगे।

5. धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यता

  • केवल दृश्यता वाले स्थानों पर सूतक लागू।
  • राशियों पर ग्रहण का प्रभाव:
  • मेष: सफलता
  • वृषभ: लाभ
  • मिथुन: तनाव

6. वैज्ञानिक दृष्टिकोण

  • ग्रहण प्राकृतिक खगोलीय घटनाएं हैं।
  • खग्रास चंद्रग्रहण चंद्रमा की सतह को अद्वितीय तरीके से अध्ययन करने का अवसर प्रदान करता है।

7 सितंबर का चंद्रग्रहण भारतीय दर्शकों के लिए एक दुर्लभ और रोमांचक खगोलीय घटना होगी।

“2025” में पूरे “चार बार ग्रहण” लगेंगे। जिसमें “दो बार solar Eclipse व दो lunar Eclipse होंगें।

मार्च महीने में 14 मार्च शुक्रवार को खग्रास चन्द्रग्रहण और 29 मार्च शनिवार और 21 सितम्बर रविवार को खण्डग्रास सूर्यग्रहण लगेगा, लेकिन दोनों ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। वहीं 07 सितम्बर रविवार को लगने वाला खग्रास चंद्रग्रहण भारत में दिखेगा।

ग्रहण की खगोलीय घटनाओं को लेकर सिर्फ वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि आम लोगों में भी उत्सुकता रहती है।

इस वर्ष पृथ्वी और चंद्रमा की चाल से कुल चार ग्रहण लगने वाले हैं, जिनमें से दो चंद्रमा और दो सूर्य ग्रहण लगेंगे। इन चारों ग्रहों में से केवल एक ग्रहण भारत से देखा जा सकेगा और जो देखा जायेगा वह है खग्रास चंद्रग्रहण। खग्रास चंद्रग्रहण भारत में 07 सितम्बर रविवार को देखा जा सकता है।

खग्रास चंद्रग्रहण भारत के सभी हिस्सों में शुरु से अंत तक 07 सितम्बर रविवार को देखा जायेगा, इसका सूतक दोपहर 12 बजकर 57 मिनिट से रात 01 बजकर 27 मिनिट तक रहेगा। भारतीय समयानुसार चन्द्रग्रहण मध्य रात 9 बजकर 57 मिनिट, खग्रास रात 11 बजकर 41 मिनिट और ग्रहण मोक्ष रात 01 बजकर 27 मिनिट तक है।

सूत्रों के अनुसार 7 वर्ष बाद 07 सितम्बर रविवार को लगने वाला खग्रास चंद्रग्रहण जो भारत में खग्रास चंद्रग्रहण दिखेगा वह गहरे लाल या भूरापन लिए चंद्रमा का दृश्य बेहद रोमांचक होगा। पिछली बार खग्रास चंद्रग्रहण भारत में 27 जुलाई 2018 को देखा गया था। पूर्ण ग्रहण की स्थिति में चंद्रमा पूरी तरह से विलुप्त नहीं होता है, इसलिए यह तांबयी लाल से नारंगीनुमा दिख सकता है। यह ग्रहण भारत सहित यूरोप, एशिया के अनेक भाग, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, उत्तरी और दक्षिणी अमरीका, प्रशांत महासागर और आर्कटिक प्रदेशों में भी दिखाई देगा।

07 सितम्बर रविवार को लगने वाला खग्रास चंद्रग्रहण की स्थिति में मेष राशि वालो के लिए सफलता, वृष राशि वालो के लिए लाभ, मिथुन राशि वालो के लिए तनाव, कर्क राशि वालो के लिए कष्ट, सिंह राशि वालो के लिए साथी से तनाव, कन्या राशि वालो के लिए हानि, तुला राशि वालो के लिए रोग – भय, वृश्चिक राशि वालो के लिए चिंता, धनु राशि वालो के लिए शुभ, मकर राशि वालो के लिए हानि, कुम्भ राशि वालो के लिए व्यर्थ व्यय और मीन राशि वालो के लिए यश प्राप्ति होगा।

14 मार्च (फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा), शुक्रवार को लगने वाला खग्रास चन्द्रग्रहण जो भारत में नहीं दिखेगा। यह ग्रहण भारत को छोड़कर अमेरिका, पश्चिम यूरोप, पश्चिम अफ्रीका, उत्तर तथा दक्षिण अटलांटिक महासागर में दिखाई देगा। यह ग्रहण भारतीय समय के अनुसार ग्रहण दिन में 10 बजकर 39 मिनिट पर शुरू होगा और दिन में 2 बजकर 18 मिनिट पर समाप्त होगा।

खण्डग्रास सूर्यग्रहण 29 मार्च (चैत्र कृष्ण अमावस्या), शनिवार को लगेगा जो भारत में नहीं दिखेगा। यह ग्रहण भारत को छोड़कर यूरोप, एशिया के उत्तरी भाग, उत्तर तथा पश्चिमी अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका के अधिकांश भाग, दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भाग, अटलांटिक महासागर के क्षेत्र में दिखाई देगा। यह ग्रहण भारतीय समय के अनुसार ग्रहण दिन में 2 बजकर 21 मिनिट पर शुरू होगा और सायं 6 बजकर 14 मिनिट पर समाप्त होगा।

21 सितम्बर (आश्विन कृष्ण अमावस), रविवार को लगने वाला खण्डग्रास सूर्यग्रहण भी भारत में नहीं दिखेगा। यह ग्रहण भी भारत को छोड़कर न्यूजीलैंड, पूर्वी मेलानेशिया तथा पश्चिम अंटार्कटिका वाले क्षेत्र में दिखाई देगा। यह ग्रहण भारतीय समय के अनुसार ग्रहण रात्रि में 11 बजे शुरू होगा और रात्रि में 3 बजकर 24 मिनिट पर समाप्त होगा।

जहाँ-जहाँ ग्रहण दिखाई देगा, वहाँ-वहाँ चंद्रग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पूर्व और सूर्यग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पूर्व सूतक लगेगा जो ग्रहण समाप्ति के साथ ही समाप्त हो जायेगा। मान्यता है कि ग्रहण जिन जगह पर दिखाई देता है वहीं केवल, उन्हीं जगहों में, सूतक आदि माना जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार टी.वी. चैनल आदि में दिखाये जाने वाले उपछाया ग्रहण की मान्यता शास्त्रों में नहीं है। photo-ISRO. courtesy internet media
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