पटना|जितेन्द्र कुमार सिन्हा|
भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान सर्वोपरि है. वेदों में कहा गया है, “गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः” यानी गुरु ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान हैं. गुरु केवल हमें रास्ता नहीं दिखाते, बल्कि हमारे अंदर के अज्ञान को दूर कर प्रकाश की ओर ले जाते हैं. गुरु पूर्णिमा का त्योहार इसी महान परंपरा का प्रतीक है, जिस दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा और आभार प्रकट करते हैं. इसी पवित्र भावना के साथ, पटना के कंकड़बाग में स्थित मातृ उद्बोधन आध्यात्मिक केंद्र में इस साल गुरु पूर्णिमा महोत्सव का शानदार आयोजन किया गया, जिसमें देश के जाने-माने विद्वान, संत, समाज सेवी और हजारों श्रद्धालु शामिल हुए.
महोत्सव का शुभ आरंभ और गुरु पादुका पूजन
महोत्सव सुबह 8:30 बजे शुरू हुआ. केंद्र के संचालक ठाकुर अरुण कुमार सिंह ने बताया कि आश्रम से सद्गुरु की चरण पादुका को भजन-कीर्तन के साथ श्री स्वामी सहजानंद गोस्वामी ने अपने सिर पर रखकर राजा उत्सव कम्युनिटी हॉल तक लाया. वहां, पुरोहित जी और ट्रस्ट के संयुक्त सचिव प्रसादी रजक ने स्वास्तिक वाचन और विधि-विधान से पूजा संपन्न कराई. इस पूजा में फाल्गुनी मित्रा और कृष्णा मित्रा यजमान के रूप में बैठे. इसके बाद, नौ छोटी कन्याओं ने सद्गुरु का स्वागत, पूजन और आरती की, जिससे पूरा माहौल भक्तिमय हो गया.
सच्चे गुरु की पहचान: ठाकुर अरुण कुमार सिंह के विचार
ट्रस्ट के संस्थापक और संचालक ठाकुर अरुण कुमार सिंह ने कहा, “सच्चा गुरु वही है जो लोभ, मोह और अहंकार से मुक्त होता है. जो शास्त्रों का ज्ञान रखता हो और जिसके उपदेश हमें मोक्ष की ओर ले जाएं.” उन्होंने यह भी कहा कि कलियुग में ऐसे गुरु को पहचानना मुश्किल है, लेकिन जब एक बार सच्चे गुरु की कृपा मिल जाती है, तो जीवन खुशियों से भर जाता है.
मुख्य अतिथियों का सम्मान और स्मारिका-कैलेंडर का विमोचन
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में “दिव्य रश्मि” मासिक पत्रिका और न्यूज़ चैनल के संपादक डॉ. राकेश दत्त मिश्र और “राजनीति चाणक्य” मासिक पत्रिका के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा उपस्थित थे. ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने तिलक, माला, फूलों का गुलदस्ता, अंग वस्त्र और मोमेंटो (स्मृति चिह्न) देकर उनका स्वागत किया. मुख्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति में एक स्मारिका (स्मृति पुस्तक) और कैलेंडर का भी विमोचन किया गया.
डॉ. राकेश दत्त मिश्र: गुरु कृपा से ही मिलता है जीवन का सच्चा अर्थ
मुख्य अतिथि डॉ. राकेश दत्त मिश्र ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “जीवन का सच्चा अर्थ तभी मिलता है, जब हमें एक सच्चे और योग्य आध्यात्मिक गुरु का साथ मिले.” उन्होंने समझाया कि गुरु के प्रति प्रेम, आस्था और ईमानदारी बनाए रखने से हमारी आत्मा शुद्ध होती है और जीवन में आने वाली सभी परेशानियां आसान हो जाती हैं. जीवन के हर क्षेत्र में, चाहे वह भौतिक हो या आध्यात्मिक, सफलता के लिए गुरु की कृपा बहुत ज़रूरी है.
डॉ. मिश्र ने यह भी कहा कि गुरु की कृपा से सांसारिक मोह, दुख, अज्ञान और भटकने से मुक्ति मिलती है. गुरु के मार्गदर्शन में ही व्यक्ति अपनी आत्मा की गहराइयों को समझ पाता है और अपने जीवन को सच्चाई, अहिंसा, प्रेम और सेवा के मार्ग पर आगे बढ़ाता है. उन्होंने कहा, “जब तक जीवन में आध्यात्मिक गुरु नहीं होता, तब तक आत्मा अधूरी रहती है. गुरु वह दीपक हैं जो हमारे मन के अंधेरे को खत्म कर देते हैं.”
गुरु पूर्णिमा के चंद्रमा की तरह: सुरेंद्र कुमार रंजन
कार्यक्रम के मंच संचालक और गुरु पूर्णिमा विशेष पत्रिका के संपादक सुरेंद्र कुमार रंजन ने अपने प्रेरणादायक भाषण में गुरु की तुलना चंद्रमा से करते हुए कहा, “गुरु उस पूर्णिमा के चंद्रमा की तरह होते हैं, जो अपने प्रकाश से शिष्य के जीवन में रोशनी भर देते हैं.” उन्होंने बताया कि गुरु वही है जो अपने शिष्यों की क्षमताओं को पहचानकर उन्हें निखारता है और हर स्थिति में सही दिशा दिखाता है.
गुरु कृपा से संभव है उत्थान: डॉ. प्रियदर्शी आलोक
कार्यक्रम के विशेष अतिथि, बिहार कॉलेज ऑफ फिजियोथेरेपी एंड ऑक्यूपेशनल थेरेपी, पटना के ऑक्यूपेशनल थेरेपी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रियदर्शी आलोक ने कहा, “गुरु के बिना मानसिक, चारित्रिक और आत्मिक विकास असंभव है. गुरु की कृपा ही जीवन की सभी बाधाओं को दूर करती है.” उन्होंने दीप जलाकर भजन संध्या का उद्घाटन किया और सभी श्रद्धालुओं को सद्गुरु की भक्ति के लिए प्रेरित किया.
भक्तिमय भजन संध्या और कलाकारों का सम्मान
दोपहर 3:30 बजे से शाम 5:00 बजे तक सद्गुरु के भक्तों ने बहुत ही भावपूर्ण भजन-कीर्तन प्रस्तुत किए. इसमें रंजन कुमार, संतोष कुमार, सुभाष प्रसाद शर्मा, वंदना देवी और रमेन्द्र कुमार झा जैसे प्रमुख कलाकारों ने भाग लिया. इन कलाकारों ने सद्गुरु की महिमा में मधुर भजन गाए, तो सभी श्रद्धालु भक्ति-रस में डूबकर झूम उठे. पूरा वातावरण संगीतमय, आध्यात्मिक और आत्मिक अनुभूतियों से भर गया.
भजन संध्या में भक्तों ने कई पारंपरिक और नए भजन गाए. “गुरु बिना ज्ञान नहीं”, “प्रभु मेरे अवगुण चित न धरो”, “सद्गुरु का नाम सच्चा है” जैसे भजन गूंजते रहे. लोकगीतों की महक में आध्यात्मिक भावनाओं की धारा बहने लगी. सभी प्रस्तुतियों को वहां मौजूद लोगों ने खूब सराहा और कार्यक्रम स्थल एक दिव्य ऊर्जा का केंद्र बन गया.
कार्यक्रम के आखिरी चरण में भजन संध्या प्रस्तुत करने वाले सभी कलाकारों को ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने तिलक, माला और मोमेंटो देकर सम्मानित किया. यह सम्मान समारोह यह दर्शाता है कि समाज में सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक सेवा देने वालों को सही मान-सम्मान मिलना चाहिए.
आभार व्यक्त और कार्यक्रम का समापन
कार्यक्रम के अंत में ठाकुर अरुण कुमार सिंह ने धन्यवाद देते हुए कहा, “गुरु पूर्णिमा का यह आयोजन केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि संस्कारों और आत्मा की शुद्धि का उत्सव है.” उन्होंने सभी भक्तों, अतिथियों, कलाकारों और ट्रस्ट के सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम का समापन किया.
इस अवसर पर मातृ उद्बोधन आध्यात्मिक केंद्र (ट्रस्ट) के संस्थापक सह संचालक ठाकुर अरुण कुमार सिंह, अध्यक्ष मुरारी शर्मा, सचिव राकेश कुमार सिंह, कार्यकारी सचिव सह कोषाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार, महासचिव सतीश कुमार सिंह, संपादक सुरेंद्र कुमार रंजन, उपसचिव मनोज कुमार, उपाध्यक्ष ललिता देवी, अनिता सिंह, रिंकी सिंह, राखी सिन्हा, सुशीला देवी, धर्मशीला देवी, आरती देवी, अनिता पटेल, सहजानंद गोस्वामी, संजीत कुमार सिंह, संजय कुमार पाण्डेय, दयानंद प्रसाद, सूरज नारायण, अशोक कुमार, परमेश्वर दयाल, राजेश कुमार राजू रवि नारायण सिन्हा, देवानंद प्रसाद, उषा देवी, रीतेश कुमार सिंह, अरुण कुमार, राधेश्याम, हरेन्द्र सिंह, पत्रकार सनोबर खान एवं रोहित कुमार, पत्रकार सुनील कुमार सिन्हा सहित सैकड़ों गुरु भाई-बहन, भक्तजन एवं कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.
Guru Purnima: A Celebration of Devotion and Dedication at “Matru Udbodhan Adhyatmik Kendra”