Motihari/ Raxaul/आदापुर/ नकरदेई Today’s BigCulturalNews by बबिताशंकर गिरि
पूर्वी चंपारण के नकरदेई थाना क्षेत्र के राजस्व गांव नकरदेई में आचार्य सुबोध मणि त्रिपाठी ने कहा- सभ्यता की विकास यात्रा भौतिक सुख-साधनों और आविष्कारों से कहीं अधिक पाशविकता पर विवेकशीलता की विजय गाथा रही है। यहां पर श्रीमद्भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। यह कथा सात दिवसीय है, जिसकी शुरुआत सोमवार को हुई थी और समापन शनिवार को होगा। इस धार्मिक आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं।
नीलकंठ सदृश्य बन कुविचारों को कंठ से नीचे नहीं उतरने देना चाहिए
सभ्यता का विकास पाशविकता पर विवेकशीलता की विजय गाथा थी: पं. सुबोधमणि त्रिपाठी
भारत वह देश है, जहां से ज्ञान की मूल धारा नैसर्गिक रूप से प्रवाहित होती रही है और समूचा विश्व इससे आप्लावित होता रहा है। जब से सृष्टि की रचना हुई है, तब से इस भूमि पर ज्ञान सृजन हुआ है, और यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी प्रवाहित होती रही है। यह वही देश है जहां वेदों की रचना हुई, उपनिषद गढ़े गए, और श्रीमद्भागवत गीता जैसा बोध ग्रंथ रचा गया।
उक्त बातें पं. आचार्य सुबोधमणि त्रिपाठी ने श्रीमद्भागवत महापुराण कथा वाचन के दौरान कहीं। कथा वाचन के चतुर्थ दिवस उन्होंने कहा कि देश को विदेशी दासता से मुक्त हुए सात दशक बीत चुके हैं, लेकिन मानसिक दासता अभी भी बनी हुई है। सभ्यता की विकास यात्रा भौतिक सुख-साधनों और आविष्कारों से कहीं अधिक पाशविकता पर विवेकशीलता की विजय गाथा रही है।
उन्होंने समाज में बढ़ती कुरीतियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि दहेज प्रथा जैसी कुप्रथाएं आज भी समाज में गहरी जड़ें जमाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि समुद्र-मंथन से जब हलाहल विष निकला, तो महादेव ने उसे अपने कंठ में धारण किया और नीलकंठ कहलाए। इससे हमें सीख लेनी चाहिए कि दूसरों के कुविचारों को अपने भीतर प्रवेश नहीं करने देना चाहिए।
कथा आयोजन और श्रद्धालु
महायज्ञ आयोजन समिति के सदस्य विनोद गिरि ने बताया कि यह कथा सप्तदिवसीय है और शनिवार को इसका समापन होगा। आयोजन स्थल पर श्रद्धालुओं के लिए समुचित व्यवस्था की गई है।
इस कथा में ब्रजभूषण गिरि, शिव शंकर गिरि, यमुना पटेल, रामेश्वर कुशवाहा, श्लोक पटेल, शर्मा साह, सचिदानंद कुशवाहा, सुनील शर्मा, रामायण प्रसाद, रामनाथ प्रसाद, दिलीप गिरि सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।
Nakardei, East Champaran: Srimad Bhagwat Mahapuran Gyan Mahayagya Organized