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Sunday, December 22, 2024
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सिकरहना नदी पर बन रहे बॉंध का विरोध: सैकड़ों किसान, पूर्व मंत्री एमएलसी व विधायक एक मंच पर

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एमएलसी महेश्वर सिंह ने कहा- सिंगुर-नैनो कार प्लांट प्रोजेक्ट की तरह होगा जनआंदोलन।

बंजरिया और सुगौली के 200 गांवों के डूबने का खतरा
पूर्वी चंपारण के कटहां से पश्चिमी चंपारण के चनपटिया तक सिकरहना नदी पर बन रहे तटबंध का विरोध तेज हो गया है। जिले में पहली बार शहर के पत्रकार भवन में बिहार सरकार के पूर्व मंत्री, एमएलसी तीन विधायक ज़िप उपाध्यक्ष व राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष सहित दर्जनभर जनप्रतिनिधि सैकड़ों किसानों के साथ प्रेस वार्ता करने जुटे थे।

शहर में स्थित पत्रकार भवन में बॉंध के विरोध में प्रेस वार्ता करते जनप्रतिनिधिगण। फोटो- देशवाणी।

मंत्री और जनप्रतिनिधियों का विरोध

पूर्व मंत्री और भाजपा नेता रामचंद्र सहनी,पूर्व मंत्री सह नरकटिया विधायक डॉ. शमीम अहमद, एमएलसी महेश्वर सिंह, राजद विधायक मनोज कुमार यादव, जिला परिषद उपाध्यक्ष अखिलेश्वर यादव, एआईएमआईएम के जिला अध्यक्ष डॉ.समीमुल हक, जन सुराज पार्टी के नेता डॉ. मंजर नसीम, वीआईपी नेता और अन्य जनप्रतिनिधियों ने बॉंध का विरोध करते हुए कहा कि इसके बनने से सुगौली और बंजरिया ब्लॉक के करीब 200 गांव डूब जाएंगे।  

ग्रामीणों की आपत्ति
मधुमालती गांव के सामाजिक कार्यकर्ता मनोज यादव ने बताया कि बॉंध बनने से दक्षिणी छपरा बहास, उत्तरी छपरा बहास, सेमरा, पूर्वी और पश्चिमी पचरुखा सहित सैकड़ों गांव प्रभावित होंगे। ग्रामीणों ने बॉंध को गंडक नदी पर न बनाकर पश्चिम चंपारण के चनपटिया में मसान नदी पर बनाने का सुझाव दिया है। उनका तर्क है कि सिकरहना नदी मैं करीब 39 प्रतिशत पानी मसान नदी का पानी मिलता है। यह नदी पश्चिम चम्पारण में सिकरहना में मिलती है।

पुराना विवाद
भाजपा नेता रामचंद्र सहनी ने कहा कि यह बॉंध 1978 में पास हुआ था, लेकिन जन आंदोलन के कारण सरकार को निर्माण रोकना पड़ा था। अब एक बार फिर यह विवाद जन आंदोलन का रूप ले चुका है।

विधानसभा में उठेगी आवाज
एमएलसी महेश्वर सिंह, विधायक मनोज कुमार यादव और डॉ. शमीम अहमद ने कहा कि वे इस मुद्दे को विधानसभा में जोरदार तरीके से उठाएंगे।

जन आंदोलन की दिशा
16 दिसंबर को ग्रामीणों ने आंदोलन कर बॉंध निर्माण को रुकवा दिया था।

16 दिसंबर को ग्रामीणों ने सुगौली के सपहा गांव के पास तटबंध निर्माण का विरोध करते हुए इसे रुकवा दिया। यह तटबंध मोतिहारी प्रखंड से शुरू होकर बंजरिया, सुगौली, मझौलिया और चनपटिया तक विभिन्न योजनाओं के तहत बनाया जाना है। इसके तहत 236 करोड़ रुपये की लागत से 56.22 किलोमीटर लंबे तटबंध का निर्माण मातेश्वरी कंस्ट्रक्शन द्वारा सपहा में शुरू किया गया था।

निर्माण कार्य शुरू होते ही स्थानीय पूर्व मंत्री रामचंद्र सहनी, बंजरिया जिला परिषद सदस्य तोहसिफुर्रह्मान, मुखिया प्रतिनिधि अनिरुद्ध सिंह, समाजसेवी मनोज यादव, भाजपा नेता गंगा राम, पूर्व राजद प्रखंड अध्यक्ष अरविंद यादव, और ग्रामीणों समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता आंदोलन में शामिल हो गए।

प्रदर्शन के दौरान, जल संसाधन विकास विभाग के कार्यपालक अभियंता आलोक कुमार पर ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि उन्होंने बिना क्षेत्र की समस्याओं को समझे तटबंध निर्माण की स्वीकृति दे दी। ग्रामीणों का कहना है कि तटबंध बनने से नदी किनारे बसे गांवों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।

अब यह विरोध तेजी पकड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर बॉंध गंडक नदी पर बना तो सुगौली और बंजरिया के अलावा छौड़ादानों, रक्सौल, रामगढ़वा और आदापुर ब्लॉक के सैकड़ों गांव भी डूबने से प्रभावित होंगे।

सरकार से इस जनविरोध को गंभीरता से लेने और बॉंध की दिशा बदलने की मांग की गई है।

Protest Against Construction of Dam on Sikarahana River: Hundreds of Farmers, Ex Ministers, and MLAs Gather”

Photo- DeshVani

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