सोमवार को भितिहरवा आश्रम की यात्रा प्रदेश प्रभारी के रूप अंतिम साबित हुई?
–Bettiah|West Champaran|Bhitiharwa|Today’sBigBreaking| हृदयानंद सिंह यादव।
बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से अखिलेश कुमार सिंह की विदाई हो गयी है। उनके स्थान पर औरंगाबाद जिले के कुटुंबा विधायक राजेश कुमार (राजेश राम) को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। बदलाव ऐसे समय में हुआ है जब करीब सात महीने बाद बिहार विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

भव्य स्वागत के बाद दो दिन में पद से हटे
सोमवार को अखिलेश कुमार सिंह का पश्चिमी चंपारण स्थित भितिहरवा आश्रम में भव्य स्वागत हुआ था। यहाँ से ही कॉंग्रेस ने सोमवार से “पलायन रोको, नौकरी दो” यात्रा की शुरुआत की थी। जिसमें प्रदेश कॉंग्रेस अध्यक्ष श्री सिंह के साथ प्रभारी कृष्णा अल्लावरु भी शामिल थे।
लेकिन दो दिन बाद, बुधवार को उन्हें अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मंगलवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर राजेश कुमार (राजेश राम) को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा की।
जातीय समीकरण बना कारण?
राजेश कुमार अनुसूचित जाति से आते हैं, और कांग्रेस का यह फैसला दलित वोट बैंक को साधने की रणनीति माना जा रहा है। दूसरी ओर, एनडीए ने चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के जरिए दलित वोटों पर मजबूत पकड़ बना ली है, जिससे कांग्रेस को नई रणनीति बनानी पड़ी।
पटना में राहुल गांधी के कार्यक्रम में विरोध
पटना के बापू सभागार में राहुल गांधी के कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अखिलेश सिंह के खिलाफ नारेबाजी की। आरोप थे कि वे तानाशाही तरीके से पार्टी चला रहे थे और घोटालों में लिप्त थे। कार्यकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को शिकायत की थी, जिसके बाद पार्टी ने यह बड़ा फैसला लिया।
गंभीर आरोप और अंदरूनी असंतोष
अखिलेश सिंह पर कई आरोप लगे:
- राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी खुद को दोबारा उम्मीदवार बनाना
- बेटे आकाश सिंह को महाराजगंज से टिकट दिलवाना, लेकिन चुनाव हार जाना
- टिकट बंटवारे में लेन-देन के आरोप
- गलत रणनीति के कारण कांग्रेस को सिर्फ 3 सीटों पर सिमटना पड़ा
किसान कांग्रेस के उपाध्यक्ष धीरेंद्र कुमार सिंह ने इन मुद्दों पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखा था, जिसमें गलत नीतियों और राजद से नजदीकी को पार्टी के नुकसान का कारण बताया गया था।
बिहार चुनाव की रणनीति का हिस्सा?
इस बदलाव को कांग्रेस की बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है। राजेश कुमार को दलित समुदाय में पकड़ मजबूत करने और पार्टी को एकजुट करने की जिम्मेदारी दी गई है।