पटना, 28 अगस्त|
सुप्रीम कोर्ट ने मसौदा मतदाता सूची के प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार किया
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के तहत 1 अगस्त को प्रकाशित होने वाली मसौदा मतदाता सूची पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है। यह फैसला न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सुनाया।
विस्तृत सुनवाई बाद में होगी
कोर्ट में यह मामला एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा लाया गया था। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने दलील दी कि इस सूची के प्रकाशन से लगभग साढ़े चार करोड़ मतदाताओं को असुविधा हो सकती है। हालांकि, न्यायालय ने फिलहाल रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि मसौदा सूची केवल एक प्रारंभिक दस्तावेज़ है। यदि उसमें कोई गलती या अवैधता पाई जाती है, तो उसे बाद में अमान्य किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत रहे बैठक में व्यस्त, शीघ्र सुनवाई का आश्वासन
इस मामले की विस्तृत सुनवाई आज नहीं हो सकी क्योंकि न्यायमूर्ति सूर्यकांत को मुख्य न्यायाधीश के साथ एक प्रशासनिक बैठक में भाग लेना था। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को भरोसा दिलाया कि इस मामले की सुनवाई जल्द की जाएगी।
संसद में विपक्ष का विरोध, सदन की कार्यवाही स्थगित
बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान (SIR) को लेकर विपक्षी दलों ने संसद में जोरदार नारेबाजी की। इस कारण लोकसभा और राज्यसभा दोनों की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।
चुनाव आयोग ने दी सफाई, बिना नोटिस नाम नहीं हटेगा
चुनाव आयोग ने साफ किया है कि प्रारूप मतदाता सूची से किसी भी व्यक्ति का नाम बिना नोटिस के नहीं हटाया जाएगा।
- नाम हटाने से पहले निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी (ERO) या सहायक निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी (AERO) संबंधित मतदाता को नोटिस भेजेंगे।
- यदि मतदाता अधिकारी के निर्णय से असहमत हो, तो वह जिलाधिकारी और उसके बाद मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष अपील कर सकता है।
Courtesy रिपोर्ट: कामिनी ठाकुर, आकाशवाणी समाचार, समाचार कक्ष से