PIB, New Delhi |
परिचय
आदिवाणी एक अभूतपूर्व पहल है, जिसे भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय ने शुरू किया है। यह भारत की पहली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित अनुवाद प्लेटफॉर्म है, जो जनजातीय भाषाओं के संरक्षण और विकास के लिए समर्पित है। इसे जनजातीय गौरव वर्ष के तहत लॉन्च किया गया है और इसका लक्ष्य जनजातीय समुदायों को शिक्षा, शासन और उद्यमिता में उनकी मातृभाषा में अधिक सशक्त बनाना है।

लॉन्च कार्यक्रम और मुख्य अतिथि–
इस बीटा संस्करण का शुभारंभ डॉ. अम्बेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र, नई दिल्ली में हुआ। इस कार्यक्रम में जनजातीय कार्य मंत्री (राज्य) श्री दुर्गादास उइके ने दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया। साथ ही मंत्रालय के सचिव श्री विबू नैयर, आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रंगन बनर्जी (वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से), संयुक्त सचिव श्री अनंत प्रकाश पांडे, और अन्य गणमान्य जन उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में सभी राज्य जनजातीय अनुसंधान संस्थान और भाषा विशेषज्ञों ने भी भाग लिया।

भाषा और संस्कृति का महत्व–
श्री उइके ने कहा कि भाषा किसी भी संस्कृति की पहचान की नींव है। आदिवाणी परियोजना दूरदराज के जनजातीय इलाकों में संचार की खाई को पाटेगी, युवाओं को डिजिटल रूप से सशक्त करेगी, और आदिकर्मयोगी फ्रेमवर्क के अंतर्गत सेवाओं की अंतिम सीमा तक पहुंच सुनिश्चित करेगी।
श्री विबू नैयर ने बताया कि आदिवाणी एक किफायती अभिनव परियोजना है, जो वाणिज्यिक मंचों की तुलना में लगभग दस गुना कम लागत में विकसित की गई है। इसमें प्रगतिशील तकनीक और प्रामाणिक डेटा का समावेश है, जिससे निरंतर सुधार के लिए समुदाय की भागीदारी को बढ़ावा मिलता है।
तकनीकी पक्ष और सहयोगी संस्थान–

आदिवाणी आईआईटी दिल्ली द्वारा एक राष्ट्रीय गठबंधन के तहत विकसित किया गया है, जिसमें बीआईटीएस पिलानी, IIIT हैदराबाद, IIIT नव रायपुर और विभिन्न राज्य जनजातीय अनुसंधान संस्थान शामिल हैं। यह प्लेटफॉर्म उन्नत AI मॉडल जैसे No Language Left Behind (NLLB) और IndicTrans2 का उपयोग करता है, जो हिंदी, अंग्रेजी और जनजातीय भाषाओं के बीच वास्तविक समय अनुवाद प्रदान करते हैं।
मुख्य भाषाएं और उपलब्धता–
बीटा संस्करण में वर्तमान में संथाली (ओडिशा), भीली (मध्य प्रदेश), मुंडारी (झारखंड), और गोण्डी (छत्तीसगढ़) भाषाओं का समर्थन है, जबकि कुई और गारो भाषाएं विकासाधीन हैं। यह एप्लिकेशन वेब पोर्टल और प्ले स्टोर पर उपलब्ध है, जल्द ही आईओएस पर भी आएगा।
विशेषताएं और उपयोग-
- हिंदी, अंग्रेजी और जनजातीय भाषाओं के बीच वास्तविक समय में पाठ और वाक् अनुवाद।
- छात्रों और शुरुआती शिक्षार्थियों के लिए इंटरैक्टिव भाषा सीखने के मॉड्यूल।
- लोककथाओं, मौखिक परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर के डिजिटलीकरण।
- सरकार के मुख्य संदेशों, स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों और प्रधानमंत्री के भाषणों के लिए उपशीर्षक।
- शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और शासन तक सहज पहुँच सुनिश्चित करना।
आदिवाणी का महत्व और भारत 2047 का लक्ष्य–
यह पहल भारत को डिजिटल इंडिया, एक भारत श्रेष्ठ भारत, आदिकर्मयोगी अभियान, धर्ती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान जैसे राष्ट्रिय कार्यक्रमों से जोड़ती है। आदिवाणी का उद्देश्य 2047 तक विकसित भारत की दिशा में जनजातीय भाषाओं के संरक्षण और सशक्तिकरण को गति देना है। यह मॉडल विश्वस्तर पर कम संसाधनों वाली भाषाओं के संरक्षण के लिए एक उदाहरण स्थापित करेगा और 20 लाख से अधिक जनजातीय परिवर्तन नेताओं को जोड़कर समावेशी और ज्ञान-आधारित भारत के निर्माण में सहायक होगा।
निष्कर्ष–
आदिवाणी केवल एक अनुवाद उपकरण नहीं है, बल्कि यह जनजातीय भाषाओं की सुरक्षा, सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक उन्नति के लिए एक क्रांतिकारी मंच है। यह परियोजना केंद्र तथा राज्य सरकारों, तकनीकी संस्थानों और स्थानीय समुदायों के संयुक्त प्रयास की मिसाल है, जो हिंदी, अंग्रेजी एवं जनजातीय भाषाओं के बीच दूरी कम करने के लिए नई तकनीकों का सफल उपयोग कर रही है।
source PIB












