New Delhi | Anand Kumar |
हर वर्ष 23 जुलाई को भारत में ‘राष्ट्रीय प्रसारण दिवस’ मनाया जाता है। यह दिन भारतीय रेडियो प्रसारण की ऐतिहासिक शुरुआत और उसके सामाजिक योगदान को रेखांकित करता है।
रेडियो प्रसारण की शुरुआत
• 23 जुलाई 1927 को पहली बार देश में रेडियो का प्रसारण बॉम्बे (अब मुंबई) में भारतीय प्रसारण कंपनी के तहत शुरू हुआ था।
• 8 जून 1936 को भारतीय राज्य प्रसारण सेवा का नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) कर दिया गया।
स्वतंत्रता संग्राम में प्रसारण की भूमिका-
• रेडियो ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सूचना के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
• इस माध्यम ने देशवासियों को एकजुट रखने का कार्य किया और राष्ट्रीय चेतना को मजबूती दी।
आज़ादी के बाद रेडियो की अहमियत
• आज़ादी के पश्चात, रेडियो ने शिक्षा, स्वास्थ्य
जागरूकता और कृषि संबंधी जानकारी ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचाने में बड़ी भूमिका निभायी-
• देश में साक्षरता, स्वास्थ्य और सामाजिक सुधार के संदेशों का सफल प्रचार-प्रसार किया गया।
आकाशवाणी और विविध भारती सेवा का शुभारंभ
• 1956 में राष्ट्रीय प्रसारक के रूप में “आकाशवाणी” नाम को आधिकारिक रूप से अपनाया गया।
• 1957 में ‘विविध भारती सेवा’ की शुरुआत हुई, जिसमें लोकप्रिय फिल्मी संगीत मुख्य आकर्षण बना।
रेडियो का सामाजिक योगदान-
• 1927 से लेकर अब तक, रेडियो भारतीय नागरिकों के जीवन का अभिन्न हिस्सा रहा है।
• आकाशवाणी ने “बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय” के अपने आदर्श वाक्य के अनुरूप, समाज को जागरूक करने, शिक्षित करने और मनोरंजन प्रदान करने का कार्य अनवरत जारी रखा है।
राष्ट्रीय प्रसारण दिवस न सिर्फ एक ऐतिहासिक दिन है, बल्कि यह रेडियो द्वारा निभाई गई सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक भूमिका का उत्सव भी है। रेडियो आज भी करोड़ों लोगों का साथी बना हुआ है, जो सूचना, शिक्षा और मनोरंजन का पुल है।
National Broadcasting Day: The Historic Journey of Radio Broadcasting in India Since 23 July 1927