रक्सौल | अनिल कुमार
रक्सौल हवाई अड्डे के विस्तार के लिए 207.70 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है। इस परियोजना के तहत 139 एकड़ नई भूमि का अधिग्रहण किया जाना है, जिससे इस क्षेत्र में हवाई सेवाओं के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) ने राज्य सरकार से जमीन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है, लेकिन अभी तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है।
हाल ही में प्राधिकरण द्वारा भेजे गए मेल में बताया गया कि उड़ान योजना 5.2 के तहत छोटे विमानों (2B श्रेणी) के लिए बोली लग चुकी है। भविष्य में इस हवाई अड्डे का विस्तार 3C श्रेणी के विमानों की उड़ान के अनुकूल किए जाने की योजना है।
जिला प्रशासन ने एयरपोर्ट अथॉरिटी को पत्र भेजकर यह स्पष्ट किया है कि भूमि अधिग्रहण की प्रारंभिक प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अधियाचना मिलते ही भूमि अधिग्रहण कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा। प्रशासन के अनुसार, हवाई अड्डे के पास पहले से 137 एकड़ भूमि उपलब्ध थी, लेकिन शेष भूमि के अभाव में परियोजना रुकी हुई थी। अब कैबिनेट की बैठक में 207.70 करोड़ रुपये आवंटित किए जाने के बाद अधिग्रहण प्रक्रिया जल्द शुरू होने की संभावना है।
400 रैयतों की भूमि होगी अधिग्रहित
हवाई अड्डे के निर्माण के लिए रक्सौल अंचल के छह गांवों – चिकनी, सिंहपुर, सिसवा, एकडेरवा, भरतमही और चंदौली में 139 एकड़ नई भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। इसके लिए करीब 400 रैयतों की जमीन अधिग्रहित की जानी है। प्रशासन द्वारा भूमि चिह्नित कर उसकी पैमाइश कर खेसरा पंजी तैयार कर ली गई है।
डॉ. (प्रो.) स्वयंभू शलभ ने नगर एवं जिला प्रशासन से भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में तेजी लाने की अपील की है, ताकि हवाई अड्डे के संचालन और प्रबंधन से संबंधित सभी शर्तें पूरी कर इसे प्राधिकरण को सौंपा जा सके। उन्होंने कहा कि इस एयरपोर्ट के शुरू होने से उत्तर बिहार और भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों को बड़ी सुविधा मिलेगी।
आर्थिक और सुरक्षा दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण
रक्सौल हवाई अड्डे के शुरू होने से आसपास के इलाकों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और सुविधाएं बढ़ेंगी। साथ ही, नेपाल से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा के कारण सुरक्षा प्रबंध पहले से और मजबूत किए जा सकेंगे। व्यापार, पर्यटन और आपातकालीन सेवाओं को भी इसका लाभ मिलेगा।
1962-63 के युद्धकाल में बनी थी हवाई पट्टी
गौरतलब है कि रक्सौल एयरपोर्ट की स्थापना 1962-63 में भारत-चीन युद्ध के दौरान की गई थी। तब इसका उद्देश्य चीन से नेपाल के रास्ते संभावित सैन्य हमलों के मद्देनजर रक्षा विमान संचालन करना था। केंद्र सरकार ने हाल के वर्षों में उड़ान योजना के तहत इसे फिर से विकसित करने का निर्णय लिया।
भूमि अधिग्रहण से पहले सामाजिक प्रभाव आकलन
जिला भू-अर्जन विभाग ने भूमि अधिग्रहण से पूर्व सामाजिक प्रभाव आकलन (SIA) के लिए चार एजेंसियों को पत्र भेजकर प्रस्ताव मांगा है। प्रशासन ने बताया कि एक सप्ताह के भीतर एजेंसी का चयन कर कार्य दे दिया जाएगा।
पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल ने कहा कि
“एयरपोर्ट के लिए 139 एकड़ नई जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। इसके लिए कैबिनेट की बैठक में 207.70 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। संबंधित भूखंडों की खेसरा पंजी तैयार की जा चुकी है। SIA प्रक्रिया पूरी होने के बाद भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई की जाएगी।”
अब प्रशासनिक स्तर पर जरूरी है कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए, ताकि यह बहुप्रतीक्षित परियोजना जल्द साकार हो सके।
फोटो: रक्सौल हवाई अड्डे के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में तेजी की मांग
Motihari/ Raxaul । ₹207.70 Crore Sanctioned for Raxaul Airport Expansion, Demand to Expedite Land Acquisition Process