Motihari | रक्सौल|अनिल कुमार|
संविधान दिवस पर सामने आयी प्रशासनिक संवेदनहीनता-
रक्सौल। संविधान निर्माता भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थानीय अंबेडकर चौक पर लंबे समय से उपेक्षित है। संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित माल्यार्पण कार्यक्रम में वक्ताओं ने इस गंभीर उपेक्षा को खुलकर उठाया और इसे प्रशासनिक संवेदनहीनता का प्रमाण बताया। इस स्थिति को लेकर स्थानीय लोगों और अंबेडकर ज्ञान मंच के सदस्यों में गहरी नाराज़गी है।
साफ-सफाई, सुरक्षा और सौंदर्यीकरण का अभाव-
अंबेडकर ज्ञान मंच के सदस्यों और नागरिकों ने कहा कि प्रतिमा स्थल के आस-पास साफ-सफाई की कमी, खराब प्रकाश व्यवस्था, सुरक्षा का अभाव और सौंदर्यीकरण की उपेक्षा स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। उनका मानना है कि यह स्थिति उस महान राष्ट्रनिर्माता के प्रति अनादर दर्शाती है, जिन्होंने देश के लोकतांत्रिक ढांचे की आधारशिला रखी थी।
चौक को गोलम्बर बनाने की तेज़ मांग-
कार्यक्रम के दौरान यह मांग ज़ोरदार तरीके से उठाई गई कि अंबेडकर चौक को जल्द से जल्द गोलम्बर (राउंडअबाउट) के रूप में विकसित किया जाए। वक्ताओं ने तर्क दिया कि गोलम्बर बनने से यह स्थल न केवल सुव्यवस्थित, सुरक्षित और आकर्षक बनेगा, बल्कि शहर के गौरव में भी वृद्धि होगी। गोलम्बर निर्माण से चौक पर यातायात भी सुचारू हो जाएगा और यह सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन सकता है।
‘अन्य चौकों का विकास तो अंबेडकर चौक की उपेक्षा क्यों?’
अंबेडकर ज्ञान मंच के सदस्यों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब शहर के अन्य चौकों का विकास किया जा सकता है, तो अंबेडकर चौक की उपेक्षा क्यों हो रही है? उन्होंने बाबासाहेब की प्रतिमा के सम्मान की मांग करते हुए कहा कि इसे प्राथमिकता के आधार पर संरक्षित और विकसित किया जाना चाहिए।
कार्रवाई न होने पर आंदोलन की चेतावनी-
स्थानीय नागरिकों ने नगर परिषद और जिला प्रशासन से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो वे आंदोलनात्मक कदम उठाने पर विचार करेंगे।
गौरतलब है कि इसी चौक पर आगामी 6 दिसंबर को नए प्रतिमा स्थल का शिलान्यास और 14 अप्रैल को नई प्रतिमा का अनावरण प्रस्तावित है, जिसके लिए समय पर गोलम्बर निर्माण और सौंदर्यीकरण का कार्य शुरू होना अत्यंत आवश्यक है। नागरिकों के अनुसार, यह निर्माण कार्य केवल ढाँचागत विकास नहीं, बल्कि सामाजिक सम्मान और संवैधानिक मूल्यों का प्रतीक होगा।
Motihari | Raxaul| Babasaheb’s statue neglected at Ambedkar Chowk; demand for roundabout construction gains momentum.
Statue of Babasaheb at Ambedkar Chowk faces neglect; strong demand arises for development of a traffic circle (roundabout).












