युद्ध जैसे हालात में सभी भारतीय न्यूज चैनलों द्वारा सायरन, मिसाइल, रॉकेट और तोपों की आवाज़ों के अत्यधिक इस्तेमाल पर केंद्र सरकार ने सख्ती बरती है। गृह मंत्रालय ने स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा है कि न्यूज कवरेज के दौरान ग्राफ़िक्स के साथ सायरन, मिसाइल व तोपों की आवाज़ की मिक्सिंग इफ़ेक्ट न डालें। इस चेतावनी के बाद न्यूज़ चैनल अनुशासित हुए हैं। अब ये शांति पूर्वक न्यूज़ पढ़ व बोल रहे हैं।
सिविल डिफेंस एयर रेड सायरन की ध्वनि केवल जनजागरूकता अभियानों में ही उपयोग की जानी चाहिए।
मंत्रालय ने चेतावनी दी कि यदि इन सायरनों का बार-बार मीडिया में इस्तेमाल होता रहेगा, तो इससे आम लोगों की संवेदनशीलता कम हो सकती है। ऐसी स्थिति में जब सचमुच हवाई हमले हों, तो लोग इसे गंभीरता से नहीं ले पाएंगे, जिससे जानमाल का बड़ा खतरा पैदा हो सकता है।
दरअसल, हाल के दिनों में देशभर के न्यूज चैनलों ने युद्ध संबंधी कवरेज को अधिक रोमांचक बनाने के लिए सायरन के साथ युद्धभूमि जैसे ध्वनि प्रभाव जोड़ दिए थे। रात के समय जब परिवार टीवी देख रहे होते थे, तब कई बार इन ध्वनियों से घरों में दहशत का माहौल बन जाता था। कुछ दर्शकों ने बताया कि उन्हें लगा जैसे असल में सायरन बज रहे हों, जिससे वे घबरा गए।
सरकारी चेतावनी के बाद चैनलों ने अब अपने प्रस्तुतीकरण में बदलाव किया है और अधिक संयमित भाषा व दृश्य का उपयोग शुरू किया है।
एक दर्शक की प्रतिक्रिया:
दिल्ली निवासी एक बुजुर्ग दर्शक ने कहा, “रात में जब अचानक सायरन बजता था, तो दिल बैठने लगता था। अब अच्छा है कि सरकार ने ध्यान दिया और चैनल सुधर गए।”
After Government Warning, Indian News Channels Restrained from Using Sirens and Explosion Sounds in War Coverage