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रक्सौल में गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व
भारत-नेपाल सीमा पर बसे रक्सौल शहर में गुरु पूर्णिमा का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। इस खास मौके पर रक्सौल के पुराने काली मंदिर से साधु-संतों की एक शानदार शोभायात्रा निकाली गई। इसमें भारत और नेपाल दोनों देशों से सैकड़ों की संख्या में साधु, संत और नागा बाबा शामिल हुए।
शाही यात्रा का नगर भ्रमण
यह भव्य शाही यात्रा पूरे शहर में घूमी और फिर से काली मंदिर परिसर में आकर खत्म हुई। इस दौरान मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ी।
गुरु दीक्षा और महासम्मेलन
भारत और नेपाल से आए भक्तों ने मंदिर में अपने गुरु वामाचार्य सेवक संजय नाथ से दीक्षा ली। दीक्षा कार्यक्रम के बाद साधु-संतों का एक बड़ा महासम्मेलन हुआ।
धर्म संसद में अहम मुद्दों पर चर्चा
सेवक संजय नाथ की अगुवाई में एक धर्म संसद का आयोजन किया गया। इस धर्म संसद में कई महत्वपूर्ण विषयों पर बातचीत हुई, जैसे:
- भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना।
- गौ हत्या पर पूरी तरह से रोक लगाना।
- गौ माता को राष्ट्रीय पशु घोषित करना।
- नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाना।
सेवक संजय नाथ ने बताया कि हर साल गुरु पूर्णिमा पर भारत और नेपाल से बड़ी संख्या में भक्त काली मंदिर आते हैं और गुरु दीक्षा लेकर आध्यात्मिक राह पर आगे बढ़ते हैं।
प्रमुख संतों और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति
इस मौके पर मुक्तिनाथ उर्फ आल्टर बाबा, डॉ. शंकर नाथ, अनिल कुमार सिन्हा, राजीव जायसवाल, राजेश त्रिपाठी समेत कई बड़े संत और गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
यह गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरु-शिष्य परंपरा को मजबूत करता है और भारतीय संस्कृति तथा सनातन धर्म की विशालता को दिखाता है।
Motihari | Raxaul Witnesses Grand Royal Procession of Naga Babas and India-Nepal Saints on Guru Purnima; Hindu Nation and Cow Protection Debated