मीडिया से मिल रही खबरों के अनुसार, सर्वोच्य न्यायालय ने कहा है कि बाल विवाह निषेध अधिनियम को किसी भी व्यक्तिगत कानून द्वारा बाधित नहीं किया जा सकता। बाल विवाह, जीवन साथी चुनने की स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हैं।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने बाल विवाह रोकने के कानून के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। न्यायालय ने कहा कि व्यक्तिगत कानूनों को बाल विवाह रोकने के उद्देश्य से बनाए गए राष्ट्रीय कानूनों के कार्यान्वयन में बाधा नहीं डालनी चाहिए।
अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि बाल विवाह रोकने और नाबालिगों की सुरक्षा के लिए अपराधियों को दंडित किया जाए। अदालत ने यह भी कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 में कुछ खामियां हैं, जिन्हें ठीक करने की आवश्यकता है।