पटना से स्थानीय संपादक,जितेन्द्र कुमार सिन्हा।
बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का 43वां हिन्दी महाधिवेशन और 106 वां स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर आज शनिवार, 19 अक्टूबर को पुनीता कुमारी श्रीवास्तव की उपन्यास “सिद्धार्थ की सारंगी” का लोकार्पण किया गया।
पुनीता कुमारी इससे पहले धर्मायण और राजभाषा पत्रिका में प्रकाशित लेखों से चर्चा में आयीं।
बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का 43वां हिन्दी महाधिवेशन और 106 वां स्थापना दिवस समारोह 19 और 20 अक्टूबर को आयोजित किया जा रहा है।
सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने जानकारी दी कि इस महाधिवेशन में साहित्यिक कार्यों और योगदान के लिए विशेष सम्मान प्रदान किया जाएगा।
इस अवसर पर हिन्दी साहित्य की समृद्धि, विविधता और वर्तमान चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। विभिन्न वक्ताओं द्वारा साहित्य में नए दृष्टिकोण और प्रेरणाओं पर चर्चा की जाएगी, जो इस क्षेत्र को और समृद्ध करेगा।
महाधिवेशन के दौरान कई सत्रों का आयोजन होगा, जिसमें पहला सत्र “हिन्दी भाषा की वर्तमान स्थिति” पर केंद्रित होगा। इस सत्र में कई साहित्यकार और विद्वान अपनी राय साझा करेंगे।
सांस्कृतिक कार्यक्रम भी महाधिवेशन का हिस्सा होंगे, जिनमें काव्य पाठ, नाटक, और संगीत शामिल हैं। साथ ही, महाधिवेशन में युवा लेखकों को प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे वे हिन्दी साहित्य के प्रति अधिक समर्पित हो सकें।
19 अक्टूबर को पुनीता कुमारी श्रीवास्तव की उपन्यास “सिद्धार्थ की सारंगी” का लोकार्पण किया गया। पुनीता कुमारी इससे पहले धर्मायण और राजभाषा पत्रिका में प्रकाशित लेखों के लिए जानी जाती हैं। उनकी कई अन्य पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें *प्रकाशित काव्य संग्रह देवस्तुति*, *सोच-विचार*, और *निबंध संग्रह जागे जागरूकता* प्रमुख हैं।
पुनीता कुमारी बिहार के बक्सर जिले के डुमराँव की निवासी हैं, और उनकी लेखनी को पाठकों द्वारा खूब सराहा गया है।
इस अवसर पर बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ, न्यायमूर्ति रवि रंजन, प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित, और लेखिका के पति प्रसून श्रीवास्तव सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।