आभा सिन्हा, पटना | 09 अगस्त
रक्षाबंधन – रिश्तों का पवित्र उत्सव-
रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत भावनात्मक और पवित्र पर्व है। यह केवल एक रस्म नहीं, बल्कि भाई और बहन के बीच विश्वास, प्रेम और सुरक्षा के वचन का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसके सुख-समृद्धि की कामना करती है, और भाई बहन की रक्षा का संकल्प लेता है।

राखी – सिर्फ एक धागा नहीं-
राखी रंग-बिरंगे रेशों का गुच्छा भर नहीं होती, बल्कि इसमें रिश्तों की पवित्रता, त्याग और प्रेम का संदेश छिपा होता है। इतिहास में भी इस बंधन के कई उदाहरण मिलते हैं – जैसे द्रौपदी द्वारा भगवान कृष्ण की उंगली पर कपड़ा बांधना, या रानी कर्णावती द्वारा हुमायूं को राखी भेजना।
राखी उतारने का सही समय-
राखी कब उतारनी चाहिए, इसके लिए कोई एक तय नियम नहीं है। यह अधिकतर परिवार की परंपरा और व्यक्तिगत इच्छा पर निर्भर करता है।
• कई लोग 3 दिन तक इसे पहनते हैं।
• कुछ एक सप्ताह तक बांधे रखते हैं, खासकर गांवों में।
• कुछ मान्यताओं के अनुसार 11वें दिन राखी उतारना शुभ माना जाता है।
• शहरों में व्यस्त जीवन के कारण अगले दिन ही उतारने की प्रवृत्ति भी है।
राखी उतारने की विधि-
राखी को कभी भी खींचकर या काटकर नहीं निकालना चाहिए।
• हमेशा साफ हाथों से धीरे-धीरे खोलकर उतारें।
• उतारने से पहले भगवान या कुलदेवता के सामने रिश्ते की मजबूती और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
• उतारी गई राखी को साफ कपड़े या थाली में रखें।
राखी का सम्मानपूर्वक विसर्जन
राखी को कई तरह से सुरक्षित या विसर्जित किया जा सकता है –
• पूजा स्थल या मंदिर में रखना
• पवित्र नदियों (गंगा, यमुना, नर्मदा आदि) के जल में विसर्जित करना
• पीपल, तुलसी या नीम जैसे पवित्र पेड़ों पर बांधना
• खास याद के रूप में डायरी, फोटो एल्बम या बक्से में सहेजना
क्या न करें-
• राखी को कूड़ेदान, बाथरूम या अशुद्ध स्थान पर न डालें
• इसे जलाएं नहीं, क्योंकि यह पवित्र प्रतीक है
• राखी को किसी भी हाल में अनादर से न रखें
क्षेत्रीय परंपराएं
• उत्तर भारत – राखी को पूजा स्थल में रखकर अगले रक्षाबंधन पर विसर्जन
• गुजरात-राजस्थान – तुलसी के पौधे पर बांधना शुभ
• बंगाल – राखी को मिट्टी में गाड़ना या नदी में प्रवाहित करना
• दक्षिण भारत – देवी के मंदिर में अर्पित करना
रक्षाबंधन का संदेश–
यह पर्व सिर्फ भाई-बहन तक सीमित नहीं रहा, अब इसे मित्रता, सामाजिक एकता और सद्भाव के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है। इसका मूल भाव यही है – “रिश्ते खून से नहीं, प्रेम से बनते हैं।”
निष्कर्ष-
राखी भाई-बहन के बंधन का प्रतीक है। इसे उतारने का समय चाहे जो भी हो, सम्मान और श्रद्धा हमेशा बनी रहनी चाहिए। चाहे राखी को पूजा स्थल पर रखें, पवित्र पेड़ों पर बांधें, नदी में विसर्जित करें या स्मृति के रूप में सहेज लें – मकसद यही होना चाहिए कि इस पवित्र धागे की गरिमा बनी रहे।
Patna| How and Why to Remove Rakhi After Raksha Bandhan – A Tradition of Respect