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Tuesday, October 14, 2025
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बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व – “विजयादशमी”

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लेखिका: आभा सिन्हा, पटना | दिनांक: 30 सितम्बर


विजयादशमी – एक प्रेरणादायक पर्व,

विजयादशमी, जिसे आमतौर पर दशहरा कहा जाता है, हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पावन पर्व है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। “दशहरा” शब्द संस्कृत के दशहर से लिया गया है, जिसका अर्थ है दस बुराइयों का अंत। यह पर्व धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और कृषि परंपराओं से गहराई से जुड़ा हुआ है और सम्पूर्ण भारतवर्ष में उल्लास और श्रद्धा से मनाया जाता है।

लेखिका- श्रीमती आभा सिन्हा। फ़ाइल फोटो-देश वाणी।

ऐतिहासिक और पौराणिक पृष्ठभूमि

रामायण आधारित परंपरा

इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर माता सीता को लंका से मुक्त कराया था। रावण, जो दस सिरों वाला बलशाली राक्षस था, अधर्म का प्रतीक माना गया है। भगवान राम ने धर्म की स्थापना हेतु उसका संहार किया। उत्तर भारत में इस अवसर पर रामलीला का आयोजन होता है, जो नौ दिनों तक चलता है और दशमी को रावण दहन के साथ समाप्त होता है।

दुर्गा पूजा से जुड़ा महत्व

पूर्वी भारत – विशेष रूप से बंगाल, बिहार और ओडिशा – में यह दिन देवी दुर्गा के द्वारा महिषासुर के वध की स्मृति में मनाया जाता है। नवरात्र के नौ दिन देवी के विभिन्न रूपों की पूजा होती है और दसवें दिन विसर्जन के साथ विजयादशमी का उत्सव मनाया जाता है।


नवरात्र – साधना और शक्ति उपासना का समय

विजयादशमी से पहले आने वाले नौ दिन नवरात्र कहलाते हैं। इन नौ रातों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है।

  • प्रथम दिन कलश स्थापना की जाती है।
  • दूसरे से आठवें दिन तक पूजा, भजन, कीर्तन और व्रत का पालन होता है।
  • नवमी को कन्या पूजन की परंपरा निभाई जाती है।
  • दशमी, अर्थात विजयादशमी, नवरात्र का समापन है।

इन दिनों उपवास, दान, तप और आत्मचिंतन को विशेष महत्व दिया जाता है।


धार्मिक प्रतीकों में समाहित संदेश

विजयादशमी केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि धर्म, नैतिकता और सत्य की जीत का प्रतीक है।

  • भगवान राम और देवी दुर्गा का जीवन हमें सिखाता है कि साहस, संयम और विश्वास के साथ बुराई पर विजय पाई जा सकती है।
  • यह पर्व प्रेरणा देता है कि अंधकार चाहे जितना भी गहरा हो, सत्य का प्रकाश उसे मिटा सकता है।

सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू

दशहरा भारत की सांस्कृतिक विविधता का उत्सव है।

  • उत्तर भारत में रामलीला और रावण दहन से इसे मनाया जाता है।
  • बंगाल, ओडिशा और मिथिला क्षेत्र में दुर्गा पूजा का विसर्जन प्रमुख होता है।
  • राजस्थान और गुजरात में गरबा और शक्ति पूजा होती है।
  • दक्षिण भारत के मैसूर में महाराज की सवारी और चामुंडेश्वरी देवी की पूजा अत्यंत भव्य रूप में होती है।

कृषि और ग्रामीण परंपराओं में विजयादशमी

ग्रामीण भारत में यह पर्व नई फसल और बीज बुआई का शुभ संकेत है।

  • जौ और अन्य अनाज के अंकुरण को शुभ माना जाता है।
  • घोड़े और पशुओं की पूजा कर उन्हें कार्यों में लगाया जाता है।
  • कहीं-कहीं जौ के अंकुर टोपी या पगड़ी में रखकर सौभाग्य की कामना की जाती है।

विविध परंपराएं और मान्यताएं

  • क्षत्रिय समुदाय अपने अस्त्र-शस्त्र की पूजा करते हैं।
  • घोड़े की पूजा और सवारी की परंपरा निभाई जाती है।
  • नीलकंठ पक्षी को देखने की परंपरा भी शुभ मानी जाती है।
  • लोग एक-दूसरे को विजय की शुभकामनाएं देते हैं और सामाजिक मेल-मिलाप करते हैं।

आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षाएं

विजयादशमी यह सिखाती है कि –

  • अच्छाई कभी हारती नहीं, चाहे बुराई कितनी ही बड़ी क्यों न हो।
  • यह सत्य, संयम और साहस के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
  • नवरात्र के उपवास और साधना आत्मशुद्धि और मानसिक विकास का माध्यम हैं।
  • यह पर्व सामाजिक समरसता, भाईचारा और सद्भावना का संदेश भी देता है।

वैश्विक स्तर पर विजयादशमी का प्रभाव

आज विजयादशमी केवल भारत तक सीमित नहीं है –

  • नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों में भी यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
  • विदेशों में बसे भारतीय समुदाय रामलीला, दुर्गा पूजा और रावण दहन का आयोजन करते हैं।
  • विदेशी नागरिक भी भारतीय संस्कृति की भव्यता को देखने के लिए इन आयोजनों में भाग लेते हैं।

आधुनिक दौर में विजयादशमी का स्वरूप

वर्तमान समय में –

  • डिजिटल माध्यम से रामलीला का लाइव प्रसारण होता है।
  • पर्यावरण-अनुकूल पुतले बनाए जा रहे हैं जिनमें कागज, बांस और जैविक रंगों का प्रयोग होता है।
  • युवा वर्ग भी इस परंपरा से जुड़ रहा है और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग ले रहा है।

निष्कर्ष – विजयादशमी का शाश्वत संदेश

विजयादशमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि जीवन के सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने का संदेश है।

  • यह हमें सिखाता है कि धैर्य, अनुशासन और अच्छाई से किसी भी बुराई का अंत संभव है।
  • देवी दुर्गा की शक्ति, भगवान राम की मर्यादा, रामलीला की शिक्षाएं और सामूहिक उत्सव की भावना इसे भारत के सबसे प्रेरणादायक पर्वों में स्थान दिलाती हैं।

विजयादशमी हमें याद दिलाती है – “सत्य की राह कठिन जरूर होती है, लेकिन अंत में वही विजयी होता है।”


Patna | The Festival Celebrating the Victory of Good Over Evil – “Vijayadashami”.

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