मोतिहारी/ नेपाल बोर्डर/ रक्सौल Today’sBreakingNews by अनिल कुमार।
26 वर्षीय शादीशुदा व्यक्ति ने फोन पर 15 वर्षीय नाबालिग लड़की से दोस्ती की। फिर शादी व नेपाल घुमाने की बात कहकर नाबालिग को उसके घर से स्कूल जाने के बहाने बुलाया। झांसे में आकर लड़की आ गयी।
भारत-नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी की 47वीं बटालियन की मानव तस्करी रोधी इकाई और प्रयास जुवेनाइल एड सेंटर पूर्वी चंपारण की संयुक्त टीम ने एक 15 वर्षीय नाबालिग लड़की को नेपाल ले जाने की कोशिश कर रहे एक शीदीशुदा व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। नाबालिग को SSB ने महिला पुलिस की अभिरंक्षा में हरैया थाने को सौंप दिया है।
मैत्री पुल पर रोका गया युवक-
घटना रक्सौल स्थित मैत्री पुल की है। एसएसबी टीम को संदेह हुआ जब एक व्यक्ति नाबालिग लड़की के साथ नेपाल जाने की कोशिश कर रहा था। टीम ने तुरंत रोका और पूछताछ की तो सबकुछ साफ हो गया। मामला मानव तस्करी का निकला।
युवक ने दोस्ती कर फंसाया-
काउंसलिंग के दौरान लड़की ने बताया कि कुछ दिनों से उसकी फोन पर युवक से बातचीत हो रही थी, जिससे दोस्ती हो गई। युवक ने शादी और घुमाने के बहाने उसे नेपाल चलने को कहा और बैंक अकाउंट में पैसे भेजने की बात भी की। शीदीशुदा व्यक्ति के झांसे में आकर लड़की स्कूल जाने के बहाने घर से निकल गयी।
पहले से शादीशुदा निकला अभियुक्त-
पूछताछ में पता चला कि युवक पहले से शादीशुदा है। मानव तस्करी रोकथाम से जुड़े अधिकारियों ने तुरंत हरैया थाना, रक्सौल को सूचना दी और लड़की को महिला अभिरक्षा में सौंप दिया।
केस दर्ज-
प्रयास जुवेनाइल एड सेंटर के सामाजिक कार्यकर्ता विजय कुमार शर्मा की ओर से हरैया थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गयी। अभियुक्त पश्चिमी चंपारण के मझौलिया थाना क्षेत्र के डुमरिया गांव का रहने वाला है, जिसकी उम्र लगभग 26 वर्ष बताई जा रही है। वहीं, नाबालिग लड़की पूर्वी चंपारण जिले के रामगढ़वा थाना क्षेत्र की रहने वाली है।
एसएसबी और सामाजिक संगठन की संयुक्त कार्रवाई-
इस कार्रवाई में मानव तस्करी रोधी इकाई के इंस्पेक्टर विकास कुमार, प्रदीप काजी, अरविंद द्विवेदी, नीतू कुमारी, कामनी कुमारी और प्रयास जुवेनाइल एड सेंटर की जिला परियोजना समन्वयक आरती कुमारी, सामाजिक कार्यकर्ता राज गुप्ता समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।
फोटो: नाबालिग लड़की को नेपाल ले जाने की कोशिश में मानव तस्कर को एसएसबी ने दबोचा
Human Trafficker Caught by SSB While Trying to Take a Minor Girl to Nepal.
मानव तस्करी: सरकारी प्रयास, कानूनी प्रावधान और सजा
मानव तस्करी रोकने के लिए सरकारी प्रयास
स्थानीय संपादक जितेन्द्र कुमार सिन्हा।
- कानूनी प्रावधान:
- अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 (ITPA): यह अधिनियम वेश्यावृत्ति से संबंधित अपराधों को नियंत्रित करता है और तस्करी के पीड़ितों की सुरक्षा और पुनर्वास का प्रावधान करता है।
- भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 370: यह धारा मानव तस्करी के अपराधों को दंडनीय बनाती है, जिसमें शारीरिक शोषण, यौन शोषण, दासता, और अंगों की तस्करी शामिल हैं।
- मानव तस्करी (निवारण, संरक्षण और पुनर्वास) बिल, 2018:
- जांच और पुनर्वास प्राधिकरणों की स्थापना: यह बिल जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर जांच और पुनर्वास प्राधिकरणों की स्थापना का प्रावधान करता है।
- संरक्षण और पुनर्वास: बिल के अनुसार, केंद्र या राज्य सरकारें पीड़ितों के लिए संरक्षण गृह स्थापित करेंगी, जहां शरण, भोजन, काउंसलिंग और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। प्रत्येक जिले में पुनर्वास गृह भी बनाए जाएंगे ताकि दीर्घकालिक पुनर्वास सुनिश्चित हो सके।
- पुनर्वास योजना:
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की पहल: सरकार ने मानव तस्करी के पीड़ितों के लिए पुनर्वास योजना को मंजूरी दी है, जिसके तहत राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में संरक्षण और पुनर्वास गृह स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
अपराध की श्रेणी और सजा के प्रावधान
मानव तस्करी भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत एक गंभीर अपराध है। IPC की धारा 370 के तहत, तस्करी के अपराध के लिए कठोर दंड का प्रावधान है, जिसमें 7 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा शामिल है।
पीड़ितों के प्रति सरकार का रवैया
सरकार मानव तस्करी के पीड़ितों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाती है। पीड़ितों के संरक्षण, पुनर्वास, और पुनः एकीकरण के लिए विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
- शरण, भोजन, चिकित्सा सहायता, कानूनी सहायता, और मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
- जागरूकता अभियान, प्रशिक्षण कार्यक्रम, और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय के माध्यम से मानव तस्करी की रोकथाम के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
इन सभी प्रयासों के माध्यम से, सरकार मानव तस्करी के उन्मूलन और पीड़ितों के पुनर्वास के लिए प्रतिबद्ध है।