spot_img
Tuesday, October 14, 2025
Homeबिहारमोतिहारीआर्य समाज का शताब्दी समारोह : 51 कुंडीय वैदिक महायज्ञ में नेपाल...

आर्य समाज का शताब्दी समारोह : 51 कुंडीय वैदिक महायज्ञ में नेपाल से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया

-

रक्सौल। अनिल कुमार।

भारत-नेपाल की सीमा पर स्थित रक्सौल नगर इन दिनों आध्यात्मिक और वैदिक माहौल से सराबोर है। आर्य समाज रक्सौल के शताब्दी समारोह का शनिवार को भव्य शुभारंभ धूमधाम के साथ किया गया। महायज्ञ का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह रहा कि इसमें भारत के साथ-साथ पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

इस अवसर पर 51 कुंडीय वैदिक महायज्ञ का आयोजन किया गया, जिसकी पवित्र अग्नि और मंत्रोच्चारण से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। यह आयोजन चार दिनों तक चलेगा और 7 अक्टूबर को पूर्णाहुति के साथ संपन्न होगा।

प्रथम दिन की वैदिक अनुष्ठानिक गरिमा-

समारोह के पहले दिन यज्ञ का संचालन आचार्य योगेश भारद्वाज, हरिशंकर अग्निहोत्री, अलका आर्या, ज्ञानचंद आर्य एवं गुरुकुल चोटीपुरा दिल्ली की ब्रह्मचारिणियों के द्वारा किया गया। वैदिक ऋचाओं की गूंज और श्रद्धालुओं की आस्था ने माहौल को दिव्य बना दिया। यज्ञ में नेपाल के विभिन्न क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओं के साथ-साथ रक्सौल नगर एवं आसपास के ग्रामीण अंचलों से भारी संख्या में लोग शामिल हुए।

आचार्य भारद्वाज का वैदिक संदेश-

यज्ञ की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए आचार्य योगेश भारद्वाज ने कहा कि यज्ञ मात्र एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सार्वभौमिक कल्याण की साधना है। यह ऐसी वैदिक कला है जो किसी का अहित किए बिना समाज और विश्व के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। उन्होंने इसे विज्ञान आधारित परंपरा बताया और कहा कि इसके प्रत्येक कर्मकांड के पीछे गहन वैज्ञानिक कारण निहित हैं।

भव्य आयोजन में उमड़ा जनसैलाब-

नगर में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर 51 कुंडीय महायज्ञ का आयोजन हुआ है। दिनभर श्रद्धालु यज्ञशाला में पहुंचकर आहुति अर्पित करते रहे। महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों की भागीदारी ने आयोजन को अद्वितीय बना दिया। वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ वातावरण में शांति, सद्भावना और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता रहा।

संध्या का सांस्कृतिक कार्यक्रम-

यज्ञ की पूर्ति के बाद शाम छह बजे से रात दस बजे तक सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन सुनिश्चित किया गया है। इस दौरान भजन-कीर्तन, प्रवचन और वैदिक संस्कृति पर प्रकाश डालने वाले विशेष सत्र आयोजित होंगे। आयोजकों के अनुसार प्रतिदिन शाम को अलग-अलग विषयों पर विद्वानों द्वारा विचार व्यक्त किए जाएंगे।

आयोजन समिति की सक्रियता-

समारोह की सफलता सुनिश्चित करने में आर्य समाज रक्सौल की पूरी कार्यकारिणी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मंच संचालन और व्यवस्था में आर्य समाज के मंत्री प्रोफेसर रामाशंकर प्रसाद, अध्यक्ष ओमप्रकाश गुप्ता, उपाध्यक्ष ईश्वर चंद्र आर्य, उप मंत्री ईश्वर आर्य सक्रिय रूप से लगे रहे। वहीं सदस्यगण नारायण प्रसाद गुप्ता, धर्मपाल आर्य, मनोज कुमार आर्य और गुलशन कुमार सहित अन्य ने विभिन्न जिम्मेदारियां निभाईं।

नेपाल-भारत की एकता का उदाहरण-

महायज्ञ का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह रहा कि इसमें भारत के साथ-साथ पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। सीमा पार से आए लोगों ने इसे दोनों देशों की साझा सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बताया। नेपाल से आए श्रद्धालुओं ने कहा कि आर्य समाज का यह आयोजन दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को और प्रगाढ़ करेगा।

नगर में धार्मिक माहौल-

रक्सौल नगर की सड़कों और गलियों में धार्मिक माहौल स्पष्ट झलक रहा है। यज्ञ स्थल पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में, बच्चे उत्साह से और बुजुर्ग श्रद्धा भाव से शामिल हो रहे हैं। पूरा नगर मानो वैदिक युग की छटा बिखेर रहा है।

समाज सुधार की दिशा-

आर्य समाज की स्थापना से ही समाज सुधार, शिक्षा, स्त्री-शिक्षा, कुरीतियों के उन्मूलन और वैदिक संस्कृति के प्रचार-प्रसार का उद्देश्य रहा है। शताब्दी समारोह में आए विद्वानों ने इसे पुनः रेखांकित किया और कहा कि आज भी समाज में व्याप्त अंधविश्वासों को दूर करने और सत्य पर आधारित जीवन जीने के लिए आर्य समाज की शिक्षाएं प्रासंगिक हैं।

चार दिवसीय कार्यक्रम की रूपरेखा-

समारोह चार दिनों तक चलेगा। प्रत्येक दिन प्रातःकाल से यज्ञ होगा और संध्या समय प्रवचन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। समापन दिवस पर पूर्णाहुति यज्ञ के साथ विशाल भंडारे का आयोजन होगा, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं के भाग लेने की संभावना है।

श्रद्धालुओं की श्रद्धा और उत्साह-

श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखने को मिला। कई लोगों ने बताया कि 100 वर्षों की यात्रा पूरी करने वाला यह आयोजन उनके लिए ऐतिहासिक अवसर है। वैदिक यज्ञ में शामिल होकर उन्हें आत्मिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव हुआ।


फोटो -आर्य समाज रक्सौल का शताब्दी समारोह प्रारंभ : 51 कुंडीय वैदिक महायज्ञ से गूंजा नगर

Motihari |Raxaul | Arya Samaj Centenary Celebration: Large number of devotees from Nepal participated in the 51‑Kundi Vedic Mahayajna.

Related articles

Bihar

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
spot_img

Latest posts