– बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने डीवीबीडीसीओ (District Vector-Borne Disease Control Officer) को शिल्ड प्रदान किये।
– 2015 में पूर्वी कालाजार के 353 मरीज मिले थे।ऑंकड़ों में लगातार गिरावट। 2024 में जिलें में मात्र 19 मरीज़।
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निखिल विजय सिंह।
राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत कालाजार उन्मूलन में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ. शरत चंद्र शर्मा को सम्मानित किया। यह सम्मान 24 दिसंबर 2024 को पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में दिया गया।
डॉ. शर्मा ने बताया कि जब उन्होंने 31 दिसंबर 2019 को पूर्वी चंपारण जिले में डीवीबीडीसीओ का पदभार संभाला, तब जिले में कालाजार के 107 मरीज थे। लोगों में जागरूकता की कमी के कारण बीमारी फैली हुई थी। उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिससे 2024 में कालाजार के मामलों की संख्या घटकर सिर्फ 19 रह गई।
कालाजार उन्मूलन में उठाए गए कदम
डॉ. शर्मा ने कालाजार उन्मूलन के लिए कई प्रभावी उपाय लागू किए:
- घर-घर सर्वेक्षण: घर-घर जाकर मरीजों की पहचान की।
- स्प्रे अभियान: बालू मक्खियों को खत्म करने के लिए जगह-जगह दवा का छिड़काव करवाया।
- जन जागरूकता अभियान: बैनर, पोस्टर, अखबार और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को बीमारी से बचाव के उपाय बताए।
- स्वास्थ्य सुविधाएं: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) पर जाँच और दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित की।
- आर्थिक सहायता: कालाजार मरीजों को सरकारी योजनाओं के तहत समय पर मुआवजा दिलवाया।
इन प्रयासों के चलते जिले में कालाजार के मामलों में लगातार कमी देखी गई। पिछले वर्षों के आँकड़े इस प्रकार हैं:
वर्ष मामले–
| **Year** | **Cases Reported** |
|———-|——————-|
| 2015 | 353 |
| 2016 | 277 |
| 2017 | 191 |
| 2018 | 177 |
| 2019 | 107 |
| 2020 | 69 |
| 2021 | 51 |
| 2022 | 50 |
| 2023 | 19 |
कालाजार क्या है?
कालाजार, जिसे वैज्ञानिक रूप से विसरल लीशमेनियासिस (visceral leishmaniasis) कहते हैं। यह एक परजीवी बीमारी है जो बालू मक्खी के काटने से फैलती है। यह बीमारी इलाज न होने पर घातक हो सकती है। इसके अलावा, पीकेडीएल (पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमेनियासिस) भी हो सकता है, जिसमें मरीज के शरीर पर दाग-धब्बे उभरते हैं।
लक्षण:
- दो सप्ताह से अधिक समय तक बुखार रहना।
- तिल्ली (स्प्लीन) का बढ़ जाना।
- भूख न लगना और वजन घटना।
- त्वचा पर दाग-धब्बे बनना।
- तेजी से खून की कमी (एनीमिया)।
मरीजों को मिलने वाली सरकारी सहायता
कालाजार मरीजों को आर्थिक मदद दी जाती है:
- राज्य सरकार: ₹6,600 प्रति मरीज।
- केंद्र सरकार: ₹500 प्रति मरीज।
- कुल सहायता: ₹7,100 प्रति मरीज।
जिले में उपचार की सुविधाएं–
पूर्वी चंपारण के 27 प्रखंडों में कालाजार के मरीजों के लिए जाँच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है।
डेटा प्रबंधन और फॉलो-अप प्रक्रिया
कामिश वेब पोर्टल पर मरीजों का डेटा सुरक्षित रखा जाता है। मरीजों की निगरानी और फॉलो-अप जाँच 1 माह, 6 माह और 12 माह के अंतराल पर की जाती है। ये डेटा पोर्टल पर अपलोड किए जाते हैं, जिनकी निगरानी जिला स्तर के अधिकारी करते हैं।
डॉ. शर्मा के संदेश-
डॉ. शर्मा ने बताया कि यह सफलता स्वास्थ्य विभाग, सहयोगी कर्मियों और जागरूक जनता के प्रयासों से संभव हुई है। उन्होंने कहा कि सतर्कता और जागरूकता से इस बीमारी को पूरी तरह समाप्त किया जा सकता है।