पटना से निखिल विजय सिंह की रिपोर्ट। अब सर्वे में पुश्तैनी जमीन का अलग-अलग नाम से सर्वे कराने के लिए वंशावली पर पंचायत प्रतिनिधियों से हस्ताक्षर कराना जरूरी नहीं है।
राज्य सरकार ने इसके लिए नियम में तब्दिली की है। जिससे रैयतों को परेशानी कोई परेशानी न हो। राजस्व और भूमि सुधार विभाग ने रैयतों की परेशानी का जिक्र करते हुए नियम में बदलाव किया है।
बताया गया है कि राज्य सरकार ने जमीन सर्वे को लेकर रैयतों को हो रही परेशानियों के मद्देनजर नियम में एक बार फिर बदलाव किया है।
राजस्व और भूमि सुधार विभाग ने स्पष्ट किया है कि पुश्तैनी जमीन का अलग-अलग नाम से सर्वे कराने के लिए वंशावली पर पंचायत प्रतिनिधियों से हस्ताक्षर कराना जरूरी नहीं है।
विभाग के अनुसार खतियानी रैयत के वंशज स्वयं वंशावली तैयार कर अंचल के शिविर में जमा कर सकते हैं। आपत्ति आने की स्थिति में सर्वे कर्मियों की ओर से जांच कर इसे प्रमाणित किया जाएगा।
विभाग ने यह भी कहा है कि माप के दौरान रैयत की जमीन पर सशरीर उपस्थिति अनिवार्य नहीं होगी।