बिहार सरकार द्वारा ‘अंबपाली पुरस्कार’ और चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ प्राप्त कर चुकी “डॉ रमा दास” ने अपने नृत्य जीवन की शुरुआत 1970 के दशक में पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल से की थीं।
डॉ रमा दास ने अपने शास्त्रीय नृत्य से प्रस्तुत की गज-ग्राह कथा और मीराबाई की रचनाएँ।
पटना से स्थानीय जितेन्द्र कुमार सिन्हा।
“Sonpur cultural news big updates” 22 नवंबर।
कला, संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा आयोजित ऐतिहासिक हरिहर क्षेत्र महोत्सव में बिहार की वरिष्ठ कत्थक नृत्यांगना डॉ रमा दास ने श्रीराम और कृष्ण कथा पर आधारित अपने नृत्य से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने राम और कृष्ण से जुड़ी अनेक साहित्यिक रचनाओं को अपनी हस्त मुद्राओं और नृत्य के जरिए जीवंत किया।

बिहार सरकार द्वारा ‘अंबपाली पुरस्कार’ और चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ प्राप्त कर चुकी डॉ रमा दास ने अपने नृत्य जीवन की शुरुआत 1970 के दशक में पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल से की थी। उन्होंने राज्य और देश के सभी प्रमुख महोत्सवों में बिहार का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रशंसा अर्जित की है।
कार्यक्रम के दौरान डॉ रमा दास ने कहा, “हरिहर क्षेत्र महोत्सव में यह मेरा पहला कार्यक्रम है। इस ऐतिहासिक और आध्यात्मिक भूमि पर प्रस्तुति देना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।”
उनकी प्रस्तुति का आरंभ गणेश वंदना “हे गजवदना, वक्रतुण्ड महाकाय” से हुआ। इसके बाद उन्होंने ‘सखि मेरो मार्ग रोक्यो कान्हा’ और मीराबाई की प्रसिद्ध रचना ‘हरि तुम हरो जन की पीर… डूबतो गजराज राख्यो’ प्रस्तुत की। समापन ‘कष्टहरण तेरी नाम राम हो’ के साथ हुआ। उन्होंने श्रीराम और कृष्ण की छवियों को मुद्राओं और भाव-भंगिमाओं के माध्यम से प्रस्तुत कर दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
डॉ रमा दास के साथ उनकी शिष्याएँ रिमझिम कुमारी, सांची सेजल, रिया, और राजलक्ष्मी भी मंच पर थीं।
कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद रहे। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के साथ पर्यटन विभाग और अन्य विभागों के अधिकारी भी इस आयोजन का हिस्सा बने।
At the Harihar Kshetra Mahotsav, Dr. Rama Das’s Kathak dance mesmerized the audience with depictions of Shri Ram and Krishna. photo- deshvani