बेतिया| अवधेश शर्मा
बेतिया: बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद अंतर्गत सूरजमल सोनथालिया धर्मशाला प्रशासनिक उदासीनता के कारण मृतप्राय हो गया है। पटना उच्च न्यायालय के न्यायादेश का भी प्रशासनिक पदाधिकारी पालन नहीं कर रहे हैं।
इस धर्मशाला की भूमि पर माफियाओं की नज़र है, लेकिन प्रशासनिक अदूरदर्शिता के चलते शहर के मध्य स्थित यह अमूल्य धरोहर बेकार पड़ा हुआ है।
सूत्रों के अनुसार, धर्मशाला की चहारदीवारी निर्माण के लिए जिला पदाधिकारी के निर्देश पर आधा-अधूरा कार्य किया गया, लेकिन संवेदक ने पूरा भुगतान उठा लिया। न्यास पर्षद बिहार के निर्देशों की लगातार अवहेलना की जा रही है। साथ ही, जिला पदाधिकारी के निर्देशों का अनुपालन भी कनीय पदाधिकारी नहीं कर रहे हैं।
धर्मशाला के पश्चिमी गेट लगाने का प्रयास सचिव हरिशंकर शर्मा द्वारा किया गया, लेकिन अंचल और पुलिस प्रशासन ने इसे रोक दिया। पटना उच्च न्यायालय के न्यायादेश का भी प्रशासनिक पदाधिकारी पालन नहीं कर रहे हैं। इस कार्य में जुटे अधिवक्ता गौरव शर्मा और सचिव हरिशंकर शर्मा ने बताया कि धर्मशाला के आसपास के व्यवसायी व निजी अस्पताल संचालक, पार्किंग सुविधा के लिए धर्मशाला की चाहरदीवारी का विरोध कर रहे हैं। कुछ प्रभावशाली लोग बिना किसी आवेदन के, केवल मौखिक आदेश के आधार पर अंचल और पुलिस प्रशासन से धर्मशाला के विकास कार्यों को बाधित करवा रहे हैं।
बुधवार को अंचल प्रशासन व पुलिस थाना शिकारपुर ने मौखिक आदेश पर धर्मशाला का गेट लगाने का कार्य फिर से रोक दिया। सचिव हरिशंकर शर्मा ने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब डीआईजी भू-माफियाओं को चिन्हित करने और शांति व्यवस्था बनाए रखने की बात कहते हैं, तो फिर पटना उच्च न्यायालय के न्यायादेश का अनुपालन क्यों नहीं कराया जा रहा है?
सचिव शर्मा ने बताया कि उन्होंने पटना उच्च न्यायालय के वाद संख्या CWJC 2850/2023 में 26 सितंबर 2023 को पारित आदेश के आधार पर जिला पदाधिकारी, पश्चिम चंपारण को कई पत्र लिखे, लेकिन डेढ़ वर्ष बीतने के बाद भी कार्य नहीं हुआ। वहीं, विकास कार्य रोकने के लिए अंचल प्रशासन तुरंत सक्रिय हो जाता है, मानो धार्मिक न्यास पर्षद के अधीन संचालित धर्मशाला के सचिव और संरक्षक ही भू-माफिया हों।
सचिव ने यह भी कहा कि यदि प्रशासन कार्य रोकने का लिखित आदेश नहीं देता है, तो धर्मशाला का विकास कार्य जारी रहेगा। वरीय पदाधिकारियों के निर्देशों की अवहेलना करने वाले पदाधिकारियों ने मीडिया को बताया कि उच्च अधिकारियों के आदेश के बाद ही कार्रवाई की जाएगी।
पटना उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, अनुमंडल पदाधिकारी नरकटियागंज ने पत्रांक 728 (दिनांक 04 नवंबर 2023) के तहत सीओ नरकटियागंज के जांच प्रतिवेदन (पत्रांक 514, दिनांक 03 नवंबर 2023) को जिला पदाधिकारी को भेजा था। लेकिन लगभग डेढ़ वर्ष बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
प्रशासनिक उदासीनता के कारण सत्यनारायण भगवान धर्मशाला और शहीद बैद्यनाथ धर्मशाला पहले ही अस्तित्व विहीन हो चुके हैं। अब सूरजमल सोनथालिया धर्मशाला पर भी संकट मंडरा रहा है।