spot_img
Monday, December 1, 2025
HomeBig Breakingकर्नाटक की सामाजिक व सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाली बानू मुश्ताक की ‘Heart Lamp’...

कर्नाटक की सामाजिक व सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाली बानू मुश्ताक की ‘Heart Lamp’ बुकर प्राइज 2025 की शॉर्टलिस्ट में शामिल

-


Karnataka writer Banu Mushtaq’s Heart Lamp shortlisted for International Booker Prize 2025


कन्नड़ साहित्य के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि
कर्नाटक की लेखिका, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता बानु मुश्ताक की प्रसिद्ध लघु कथा संग्रह ‘Heart Lamp’ को इंटरनेशनल बुकर प्राइज 2025 की अंतिम छह पुस्तकों की सूची में जगह मिली है। यह किताब मूल रूप से कन्नड़ भाषा में लिखी गई थी, जिसे अंग्रेज़ी में दीपा भास्‍ती ने अनुवाद किया है।


पहली बार किसी कन्नड़ किताब ने बुकर की शॉर्टलिस्ट में बनाई जगह
यह पहली बार हुआ है जब किसी कन्नड़ भाषा की पुस्तक को इतने प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थान मिला है। ‘Heart Lamp’ को उसकी बोलचाल की शैली, सामाजिक गहराई, परिवार और समुदाय के तनावों को दर्शाने वाले मार्मिक चित्रण के लिए सराहा गया है।


1990 से 2023 के बीच लिखी गई 12 कहानियाँ
यह संग्रह 12 कहानियों का है, जो 1990 से 2023 के बीच प्रकाशित हुई थीं। इस किताब को अब दुनिया भर की अन्य भाषाओं के लेखकों के साथ मुकाबला करना है।


प्रकाशक ने बताया गर्व का क्षण
Penguin Random House India ने इस मौके को कन्नड़ भाषा और भारतीय साहित्य के लिए गर्व और गौरव का क्षण बताया। यह बहुत कम कन्नड़ किताबों में से एक है जिसे अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज जैसे मंच पर पहचान मिली है।


Karnataka writer Banu Mushtaq’s Heart Lamp shortlisted for International Booker Prize 2025


‘Heart Lamp’ की खास बात इसकी सीधी-सादी, बोलचाल की भाषा में कही गयी गहराई भरी कहानियाँ हैं, जो परिवार, समाज और समुदाय के भीतर के तनावों को बड़ी संवेदनशीलता और सच्चाई के साथ पेश करती हैं।

यहाँ कुछ प्रमुख खास बातें हैं:


1. स्थानीयता और जीवन की सच्चाई-

‘Heart Lamp’ की कहानियाँ कर्नाटक की सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से जुड़ी हैं। इनमें आम लोगों की जिंदगी, उनकी भावनाएँ, संघर्ष और रिश्तों की उलझनें बेहद प्रामाणिक रूप से दिखाई गई हैं।


2. भावनात्मक और व्यंग्यात्मक शैली-

बानु मुश्ताक की लेखनी में भावनाओं की गहराई है, लेकिन वह उसे हास्य और व्यंग्य से संतुलित करती हैं। यह मिश्रण पाठकों को सोचने पर मजबूर करता है।


3. 30 सालों का लेखन-सफर-

इस संग्रह की कहानियाँ 1990 से 2023 के बीच की हैं, यानी यह किताब लेखक के तीन दशकों के अनुभव और नजरिए को समेटे हुए है।


4. महिला दृष्टिकोण और सामाजिक आलोचना-

कई कहानियाँ महिला पात्रों के नजरिए से हैं, जो समाज में उनके स्थान और चुनौतियों को उजागर करती हैं। इसमें सामाजिक कुरीतियों, लैंगिक भेदभाव, और परंपराओं की गहरी आलोचना भी की गयी है।


5. अनुवाद की उत्कृष्टता-

दीपा भास्‍ती द्वारा किया गया अंग्रेज़ी अनुवाद भी बहुत सराहा गया है। उन्होंने मूल भाषा की भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक रंगत को बखूबी बनाए रखा है।


Heart Lamp सिर्फ एक कहानी-संग्रह नहीं, बल्कि कन्नड़ समाज की आत्मा को महसूस करने का एक जरिया है। यही वजह है कि यह किताब International Booker Prize 2025 की शॉर्टलिस्ट तक पहुंच सकी।


पत्रकारिता से लेखन तक का सफर
बानू मुश्ताक़ ने अपने करियर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में की थी। वे कुछ समय तक कन्नड़ अख़बार ‘कनकेश पत्रिके’ से जुड़ी रहीं और कुछ महीनों तक ऑल इंडिया रेडियो में भी कार्य किया।


लेखन की ओर रुझान
बचपन से ही बानू को लिखने में रुचि थी, लेकिन लेखिका के रूप में उन्होंने तब कदम रखा जब वे 29 वर्ष की उम्र में एक नवजात की माँ बनीं। उस समय वे प्रसवोत्तर अवसाद और एक असंतोषजनक वैवाहिक जीवन से जूझ रही थीं। गहरे मानसिक संघर्ष और आत्महत्या के विचारों के बीच उन्होंने लेखन को आत्म-अभिव्यक्ति और भावनात्मक राहत का माध्यम बनाया।

उनकी कहानियों में ज़्यादातर महिलाओं की समस्याओं और उनके संघर्षों को दर्शाया गया है। वे उन महिलाओं की बात करती हैं जिन्हें उनके पति छोड़ देते हैं और दूसरी शादी कर लेते हैं। ऐसी महिलाएं अपने 6–7 बच्चों की परवरिश में उलझी रहती हैं और पति की पुत्र की चाह पूरी न कर पाने की स्थिति में तिरस्कृत जीवन जीती हैं। वहीं उनके पुरुष पात्र अक्सर माँ और पत्नी के बीच के तनावों से दबे हुए दिखते हैं।


साहित्य से सिनेमा तक
बानू की प्रसिद्ध कहानी “कारी नगरगालु” पर आधारित फिल्म “हसीना” साल 2003 में बनी थी।


अंतरराष्ट्रीय पहचान
दीपा भास्‍ती ने वर्ष 2022 में बानू की रचनाओं का अंग्रेज़ी अनुवाद करना शुरू किया। उनकी पहली संपूर्ण अनूदित किताब ‘Heart Lamp’ है — जिसमें दक्षिण भारत के मुस्लिम समुदायों पर आधारित 12 महिला-केंद्रित कहानियाँ शामिल हैं। यह संग्रह 2019 से 2023 के बीच लिखा गया था।

इस पुस्तक को 2025 के इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया, और इस तरह बानू मुश्ताक़ इस सम्मान के लिए नामांकित होने वाली पहली कन्नड़ लेखिका बन गईं।


प्रकाशित रचनाएँ
अब तक वे छह लघुकथा संग्रह, एक उपन्यास, निबंधों का एक संग्रह और कविताओं का एक संकलन प्रकाशित कर चुकी हैं।


Related articles

Video thumbnail
Goa | 56th International Film Festival of India Concludes Grandly. PBSHABD, 28 November 2025
00:51
Video thumbnail
गोवा में 56वां अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फिल्म महोत्सव का हुआ भव्य समापन, PBSHABD, 28 November 2025
00:41
Video thumbnail
वीरगंज के मेयर राजेशमान सिंह के नेतृत्व में भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र में 24 लगाए गए हजारों पौधे
00:16
Video thumbnail
Raxaul विधायक प्रमोद कुमार सिन्हा का भव्य स्वागत
00:20
Video thumbnail
अंबेडकर चौक रक्सौल में बाबासाहेब की प्रतिमा उपेक्षित; गोलम्बर निर्माण की मांग ज़ोर26 November
03:53
Video thumbnail
Famous playback singer Udit Narayan said- I am from Mithila, and Lord Ram is our son-in-law,PBSHABD
00:23
Video thumbnail
सम्राट चौधरी की कानून-व्यवस्था पर बड़ी घोषणाएँ PBSHABD, 25 November 2025
04:32
Video thumbnail
पीएम ने X पर वीडियो के जरिए साझा की G20 समिट की खास बातें, PBSHABD, 24 November 2025
02:15
Video thumbnail
Jamui | 20 elephants from Giridih forests into Chakai, villagers in panic, PBSHABD, 24 November 2025
00:10
Video thumbnail
Four Colours Printing Machine 23 November 2025
05:18

Bihar

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
spot_img

Latest posts