पटना से स्थानीय संपादक कुमार सिन्हा।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए सियासी सरगर्मियां चरम पर हैं। आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), और कांग्रेस के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है। आम आदमी पार्टी लगातार चौथी बार सरकार बनाने की कोशिश में है, भाजपा अपने लंबे इंतजार को खत्म करना चाहती है, और कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाने की उम्मीद में है।
चुनाव प्रक्रिया और पृष्ठभूमि-
दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर चुनाव के लिए अधिसूचना 10 जनवरी को जारी की गई थी। नामांकन प्रक्रिया 17 जनवरी को समाप्त हो चुकी है। 5 फरवरी को मतदान होगा और 8 फरवरी को नतीजे घोषित किए जाएंगे। निर्वाचन आयोग ने चुनाव की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू कर दी है।
दिल्ली का यह चुनाव राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दिल्ली सरकार की संवैधानिक शक्तियां सीमित होने के बावजूद राष्ट्रीय मीडिया के केंद्र में रहने के कारण इसका प्रभाव व्यापक होता है।
पिछले चुनावों का विश्लेषण-
दिल्ली चुनाव में वोट प्रतिशत के आधार पर पार्टियों की स्थिति में काफी बदलाव आया है।
- 2013: कांग्रेस – 24.55%, आप – 29.49%, भाजपा – 33.07%
- 2015: कांग्रेस – 9.65%, आप – 54.34%, भाजपा – 32.19%
- 2020: कांग्रेस – 4.26%, आप – 53.57%, भाजपा – 38.51%
मुख्य मुद्दे और चुनौतियां-
इस चुनाव में सभी राजनीतिक दल विभिन्न मुद्दों पर एक-दूसरे को घेर रहे हैं:
- आप: बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार योजनाओं के साथ “महिला सम्मान योजना” और पुजारियों को 18,000 रुपये प्रति माह की सहायता जैसी नई घोषणाओं के दम पर चुनावी मैदान में है।
- भाजपा: राष्ट्रवाद, हिंदुत्व, दिल्ली दंगा, बदहाल सड़कें, और केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार और शराब घोटाले के आरोपों को प्रमुख मुद्दा बना रही है।
- कांग्रेस: शीला दीक्षित सरकार के दौरान किए गए कार्यों को याद दिलाकर अपने पारंपरिक वोटरों को फिर से जुटाने की कोशिश कर रही है।
राजनीतिक महत्व और संभावनाएं
दिल्ली चुनाव का महत्व केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है। यहां के नतीजे राष्ट्रीय राजनीति को भी प्रभावित करते हैं। भाजपा, जो 1993 के बाद से दिल्ली में सत्ता से बाहर है, के लिए यह चुनाव “करो या मरो” की स्थिति में है। वहीं, आप के लिए यह चुनाव न केवल सत्ता में बने रहने का बल्कि अपनी लोकप्रियता बरकरार रखने का मौका है। कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि वह अपने वोट प्रतिशत को कितना बढ़ा पाती है।
महिलाओं और अन्य मतदाता समूहों पर फोकस
तीनों दलों का ध्यान महिलाओं और युवा मतदाताओं पर केंद्रित है। आप और भाजपा ने महिलाओं के लिए विशेष योजनाओं की घोषणा की है, जिनका असर मतदान पर पड़ेगा।
नतीजे की प्रतीक्षा
अब सवाल यह है कि क्या आम आदमी पार्टी लगातार चौथी बार जीत दर्ज करेगी, भाजपा को मौका मिलेगा, या कांग्रेस वापसी कर पाएगी। यह सब 8 फरवरी को नतीजों के साथ साफ हो जाएगा। फिलहाल, दिल्ली की जनता के फैसले पर पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं।
विश्लेषण: यह चुनाव न केवल दिल्ली के लिए बल्कि देश की राजनीति की दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है। Analysis: According to critics, the Delhi elections could prove to be a game-changer not only for Delhi but also for shaping the direction of the country’s politics.