spot_img
Tuesday, July 15, 2025
HomeBreaking30 मार्च कलश स्थापना - मां शैलपुत्री की प्रथम पूजा होगी

30 मार्च कलश स्थापना – मां शैलपुत्री की प्रथम पूजा होगी

-

– जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 29 मार्च 2025


चैत नवरात्र की शुरुआत

चैत नवरात्र का प्रारंभ रविवार, 30 मार्च को कलश स्थापना और माँ शैलपुत्री की पूजा के साथ होगा। शास्त्रों के अनुसार, कलश स्थापना पूजा घर के ईशान कोण में करनी चाहिए। पंचांग के अनुसार, चैत मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नवरात्र नवमी तिथि तक चलता है।

लेखक जितेंद्र कुमार सिन्हा, पटना में स्थानीय संपादक हैं। फ़ाइल फोटो- देश वाणी।

नवरात्र के नौ दिनों में देवी के स्वरूपों की पूजा

चैत नवरात्र में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है:

  1. प्रतिपदा (30 मार्च) – माँ शैलपुत्री
  2. द्वितीया (31 मार्च) – माँ ब्रह्मचारिणी
  3. तृतीया (1 अप्रैल) – माँ चंद्रघंटा
  4. चतुर्थी (2 अप्रैल) – माँ कुष्मांडा और माँ स्कंदमाता
  5. पंचमी (3 अप्रैल) – माँ कात्यायनी
  6. षष्ठी (4 अप्रैल) – माँ कालरात्रि
  7. सप्तमी (5 अप्रैल) – माँ महागौरी
  8. अष्टमी (6 अप्रैल) – माँ सिद्धिदात्री

इस वर्ष नवरात्र केवल 8 दिन का होगा, इसलिए माँ कूष्मांडा और माँ स्कंदमाता की पूजा एक ही दिन होगी।


माँ शैलपुत्री का स्वरूप और महत्व

माँ शैलपुत्री देवी दुर्गा के प्रथम स्वरूप मानी जाती हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें ‘शैलपुत्री’ कहा जाता है। नवरात्र की प्रथम तिथि को इनकी पूजा की जाती है। इस दिन योगी अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थिर करके साधना प्रारंभ करते हैं।


माँ शैलपुत्री से जुड़ी पौराणिक कथा

प्रजापति दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें सभी देवताओं को बुलाया गया, लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया। सती, जो दक्ष की पुत्री और शिव की पत्नी थीं, बिना बुलाए ही यज्ञ में पहुंचीं। वहां उन्होंने देखा कि उनके पिता और अन्य परिजनों ने उनका तिरस्कार किया और भगवान शिव का अपमान किया।

इस अपमान को सहन न कर पाने के कारण सती ने योगाग्नि द्वारा अपने शरीर को भस्म कर दिया। इस घटना से क्रोधित होकर भगवान शिव ने दक्ष के यज्ञ का विध्वंस कर दिया। बाद में, सती ने हिमालय राज के घर जन्म लिया और ‘शैलपुत्री’ के नाम से प्रसिद्ध हुईं।


नवरात्रि पूजन विधि

नवरात्र में दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष महत्व रखता है। यदि संपूर्ण पाठ संभव न हो, तो इसे निम्न प्रकार से विभाजित किया जा सकता है:

  1. पहला दिन – प्रथम अध्याय
  2. दूसरा दिन – द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ अध्याय
  3. तीसरा दिन – पंचम अध्याय
  4. चौथा दिन – षष्ठ और सप्तम अध्याय
  5. पाँचवा दिन – अष्टम और नवम अध्याय
  6. छठा दिन – दशम और एकादश अध्याय
  7. सातवाँ दिन – द्वादश अध्याय
  8. आठवाँ दिन – त्रयोदश अध्याय और रहस्य पाठ

व्रत और आहार नियम

  • व्रतधारी केवल गंगाजल और दूध का सेवन कर सकते हैं।
  • फलाहार करने वालों के लिए कागजी नींबू का सेवन शुभ माना जाता है।
  • यदि फलाहार कठिन हो, तो एक समय अरवा चावल, सेंधा नमक, चने की दाल और घी से बनी सब्जी ग्रहण की जा सकती है।

उपसंहार

चैत नवरात्र शक्ति की उपासना का पर्व है। श्रद्धालु विधिपूर्वक व्रत रखकर देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना करेंगे। माँ दुर्गा की कृपा सभी भक्तों पर बनी रहे।

Related articles

Bihar

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
spot_img

Latest posts