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Saturday, September 20, 2025
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फर्जी सफाईकर्मियों को लेकर बेतिया नगर निगम में हंगामा

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मेयर और डिप्टी मेयर आमने-सामने, श्रमिक चोरी व संविदा बहाली पर गंभीर आरोप


बेतिया नगर निगम में श्रमिक चोरी का खेल

पश्चिम चम्पारण जिला मुख्यालय बेतिया नगर निगम में सफाईकर्मियों की कथित फर्जी नियुक्ति और मजदूर चोरी का मामला अब तूल पकड़ चुका है। उपमहापौर गायत्री देवी ने आरोप लगाया है कि नगर निगम के 46 में से 30 से अधिक वार्डों में वर्षों से संगठित तरीके से श्रमिक चोरी होती रही है। फर्जी नामों से मजदूरी दिखाकर निगम कोष की राशि का गबन किया गया।

गायत्री देवी ने कहा कि जब भी वह इस मामले को उठाने की कोशिश करतीं, उनकी आवाज दबा दी जाती। कई लोग इसमें शामिल रहे और षड़यंत्रपूर्वक उन्हें चुप कराने का प्रयास किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि बोर्ड की बैठकों में प्रभाव और योजनाओं को पारित कराने के लिए कुछ पार्षदों को चोरी की खुली छूट मिली।


14 से 20 मजदूर करने पर शुरू हुआ खेल

डिप्टी मेयर ने बताया कि पहले प्रत्येक वार्ड में 14 मजदूर दिए गए थे और सफाई का काम सामान्य रूप से होता रहा। लेकिन 4 मार्च 2023 की बैठक में प्रति वार्ड 6 अतिरिक्त मजदूरों की स्वीकृति मिलते ही श्रमिक चोरी का खेल शुरू हो गया। फर्जी उपस्थिति दिखाकर नगर निगम की राशि का दुरुपयोग होने लगा।

इस व्यवस्था से सफाई प्रभावित नहीं हुई, जिससे लोगों को संदेह न हो। दरअसल, अतिरिक्त मजदूर दिखा कर निगम धन की बंदरबांट का खेल चलता रहा।


संविदा बहाली में भी अनियमितता का आरोप

गायत्री देवी ने श्रमिक चोरी के साथ-साथ संविदा बहाली प्रक्रिया पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि निगम में हाल ही में संविदा पर नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद हावी रहा और नियमों की खुल्लमखुल्ला अनदेखी की गई। दर्जनों लोगों को ताक पर रखे गए नियमों के बावजूद बहाल कर लिया गया।

उनका आरोप है कि नगर निगम ने अपने ‘चहेतों’ को रेवड़ी की तरह पद बांटे। इस मामले की गहराई से जांच की मांग डिप्टी मेयर ने की है।


मेयर का जवाब और कार्रवाई
उधर, मेयर गरिमा देवी सिकारिया ने कहा कि 29 अप्रैल 2025 को बोर्ड की बैठक में इस विषय पर निर्णय लिया गया। बैठक में 10 फर्जी सफाईकर्मियों से राशि की वसूली और 35 संदिग्ध कर्मियों को हटाने का फैसला किया गया। उन्होंने नगर निगम आयुक्त को पत्र भी लिख दिया है।

हालांकि सवाल यह उठता है कि वर्ष 2023 से चल रहे इस पूरे खेल की जानकारी मेयर को दो साल बाद वर्ष 2025 में ही क्यों मिली।


अंदरूनी संघर्ष से प्रभावित जनता
साफ है कि श्रमिक चोरी और संविदा घोटाले के आरोपों को लेकर मेयर और डिप्टी मेयर के बीच टकराव तेज हो गया है। नगर निगम बोर्ड के भीतर चल रही इस खींचतान का सीधा असर बेतियावासियों की सुविधाओं और सफाई व्यवस्था पर पड़ रहा है। अब देखना यह होगा कि यह विवाद नगरवासियों के हक में समाधान की ओर जाता है या राजनीतिक संघर्ष का हिस्सा बनकर रह जाता है।


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